चरखी दादरी - पटवारी व कानूनगो बढ़ायेंगे सरकार की टेंशन!

चरखी दादरी || दी रेवेन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन के आह्वान पर पटवारी व कानूनों ने दादरी के लघु सचिवालय परिसर में तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है। पटवारी व कानूनगो अब सरकार की टेंशन बढ़ायेंगे वहीं वे अपनी मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूढ में भी हैं। प्रधान रणबीर सांगवान की अगुवाई में हड़ताली पटवारियों व कानूनों ने सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन करते हुए मांगे पूरी नहीं होने पर हड़ताल को अनिश्चितकाल करने का अल्टीमेटम दिया है।

चरखी दादरी || दी रेवेन्यू पटवार एवं कानूनगो एसोसिएशन के आह्वान पर पटवारी व कानूनों ने दादरी के लघु सचिवालय परिसर में तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है। पटवारी व कानूनगो अब सरकार की टेंशन बढ़ायेंगे वहीं वे अपनी मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूढ में भी हैं। प्रधान रणबीर सांगवान की अगुवाई में हड़ताली पटवारियों व कानूनों ने सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन करते हुए मांगे पूरी नहीं होने पर हड़ताल को अनिश्चितकाल करने का अल्टीमेटम दिया है। उनके समर्थन में दूसरे विभागों के कर्मचारी संगठन भी उतर आए हैं। उधर इनकी हड़ताल के कारण लोगों को राजस्व से संबंधित कार्यों के लिए चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

लघु सचिवालय परिसर में पटवारियों व कानूनगो ने तीन दिन की हड़ताल के पहले दिन धरना देते हुए रोष प्रदर्शन किया। वेतन विसंगतियों को दूर नहीं किए जाने पर रोष प्रदर्शन करते हुए पटवारियों ने कहा कि इस दौरान उनकी मांग नहीं मांगी तो स्टेट कार्यकारिणी दोबारा से बैठक करेगी और उसके बाद वे आगामी निर्णय लेंगे। कर्मचारियों ने बताया कि 4 जनवरी 2023 को सीएम के साथ एसोसिएशन पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। जिसमें राजस्व पटवारी का वेतनमान 25 हजार 500 से बढ़ाने पर सहमति बनी थी जिसके बाद एसोसिशन ने आंदोलन को समाप्त कर दिया था। जिसके बाद 24 जनवरी 2023 को वेतन को बढ़ाकर 32 हजार 100 रुपये कर दिया था। उन्होंने कहा कि बढ़ा हुआ वेतन एक जनवरी 2016 से लागू किया जाना था लेकिन उसे साल 2023 से लागू किया जा रहा है जो गलत है। उन्होंने कहा कि उन्हें बढे वेतन का लाभ आश्वासन के अनुसार साल 2016 से प्रदान किया जाया।एसोसिएशन के प्रधान रणबीर सांगवान व एसकेएस प्रधान कृष्ण ऊण ने संयुक्त रूप से कहा कि बार-बार सरकार को मांगे पूरी करने बारे अवगत करवाया। बावजूद इसके समाधान नहीं हाेने पर मजबूर होकर हड़ताल करने का निर्णय लिया। सरकार तीन दिन के दौरान उनकी मांगे पूरी नहीं करती तो वे हड़ताल को अनिश्चितकालीन करेंगे।