रक्तदान के लिए बनाई युवाओं की फौज

[ankit thakur , bhiwani] जिस दौर में लोग अपनों का खून बहाने से पीछे नहीं हटते, उस दौर में एक शख्स ऐसा भी है जो अपना खून देकर दूसरों का जीवन बचाने के लिए सदा आगे रहता है। भिवानी जिला ही नहीं, बल्कि जिला से बाहर भी कहीं खून की जरूरत पड़ती है तो वह आगे खड़े मिलते हैं। उसने अपने जीवन का उद्देश्य दूसरों का जीवन बचाना ही बना लिया है। हम बात कर रहे हैं ब्लड पंप के नाम से मशहूर हुए राजेश डुडेजा की।

भिवानी, 13 जून : जिस दौर में लोग अपनों का खून बहाने से पीछे नहीं हटते, उस दौर में एक शख्स ऐसा भी है जो अपना खून देकर दूसरों का जीवन बचाने के लिए सदा आगे रहता है। भिवानी जिला ही नहीं, बल्कि जिला से बाहर भी कहीं खून की जरूरत पड़ती है तो वह आगे खड़े मिलते हैं। उसने अपने जीवन का उद्देश्य दूसरों का जीवन बचाना ही बना लिया है। हम बात कर रहे हैं ब्लड पंप के नाम से मशहूर हुए राजेश डुडेजा की।
     क्रिकेट खिलाड़ी तो पिच पर शतक बनाते हैं, लेकिन राजेश डुडेजा रक्तदान की मुहिम में शतक बना चुके हैं। स्टूडियो फोटोग्राफी, प्रैस फोटोग्राफी उनकी आजीविका के साधन हैं। इसके साथ उन्होंने रक्तदान करके दूसरों का जीवन बचाने के लिए अपने जीवन का ध्येय बनाया। दूसरों के लिए वे अपना खून देने के लिए सदैव आगे रहते हैं। ना उन्हे किसी प्रकार की जान-पहचान चाहिए, ना यारी-रिश्तेदारी, चाहे कोई अपना हो या पराया, खून देने के लिए उनकी नजर में सब बराबर हैं।
     रक्तदान के प्रति राजेश डुडेजा में जुनू इस कदर हावी है कि पहले उन्होंने खुद से खून देने की पहल की तथा इसके बाद रक्तदाताओं की फौज खड़ी कर दी, जो एक बुलावे पर कहीं पर भी खड़ी नजर आते है तथा उत्सुकता के साथ रक्तदान करते हैं। रक्तवीर राजेश डुडेजा व उनकी टीम किसी भी गर्भवती महिला, इसके बच्चे, किसी हादसे में घायलों व अन्य जरूरतों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इसके लिए इन्होंने रक्तदाताओं के कई गु्रप भी बना रखे है। इनकी टीम में 5 हजार के करीब सदस्य हैं, जिनमें से अढाई हजार के करीब सक्रिय सदस्य है। उनकी इस मुहिम में 98 फीसदी ग्रामीण व महज दो फीसदी शहरी डोनर हैं। इनमे कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने अपने ऊपर आई समस्याओं से सीख लेकर रक्तदान शुरू किया। किसी ने दूसरों से प्रेरणा ली। अपना खून देकर सिर्फ लोगों की जिंदगी बचाना ही नहीं, दूसरों को रक्तदान के लिए जागरूक करने का काम भी ये महादानी पूरी तन्मयता से कर रहे हैं।
     राजेश डुडेजा एम्स दिल्ली, भारतीय रेडक्रॉस, आर्मी अस्पताल, पीजीआई रोहतक, अग्रोहा मैडिकल कालेज, चौ. बंसीलाल नागरिक अस्पताल भिवानी, ब्लड बैंक सहित अनेकों ब्लड बैंकों और अन्य संस्थाओं में हजारों रक्तदान शिविर लगवा चुके हंै। साथ ही हजारों लोगों का रक्तदान करवाकर लोगों की जिंदगी बचा चुके है। भिवानी का ये शतकवीर रक्तवीर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ हैं।
बॉक्स
1995 की बाढ़ के समय किया पहला रक्तदान
अपनी रक्तदान मुहिम के बारे में शतकवीर रक्तदाता राजेश डुडेजा बताते है कि वर्ष 1995 में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने पहली बार रक्तदान किया था। जिसके बाद कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा तथा रक्तदान को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उन्होंने बताया कि वे 126 बार रक्तदान कर चुके है। कोरोना के समय में लॉकडाउन लगा तो भिवानी सिविल अस्पताल में ब्लड की ज्यादा कमी हो गई थी। वे डोनर को अपने वाहन पर लाकर उनसे रक्तदान करवाने के बाद खुद ही उनके घर छोड़ कर आते थे। उनकी नि:स्वार्थ रक्तदान मुहिम को देखते हुए पूर्व केंद्रीय चिकित्सा मंत्री मनसुख मंडविया, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा भी उन्हे सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा विश्व रक्तदान दिवस पर भारतीय रेडक्रॉस समिति द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय शतकवीर रक्तदाता सम्मान समारोह मे उन्हे महामहिम राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय भी उन्हे सम्मानित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने 100वीं बार रक्तदान किया तो रेडक्रास की तरफ से महामहीम राज्यपाल द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया था। डुडेजा कहते है कि अपने लिए तो हर कोई जीता है, पर दूसरों के लिए जीना असली जीना है।