76 वर्षीय चरवाहे के हौसले हैं बुलंद, ताज़ा कर दीं माउंटेन मैन की यादें

ज्यादातर जीवन एक चरवाहे के रूप में बिताने वाले संतलाल ने अपने आस–पास के परिवेश में काफी संख्या में पेड़ पौधों को संरक्षित किया है। पहाड़ की तलहटी में इन्होंने करीब सवा सौ पेड़-पौधों का एक अपना ही जंगल बसाया हुआ है। बीस साल पहले शुरु किया था अभियान |

76 वर्षीय चरवाहे के हौसले हैं बुलंद, ताज़ा कर दीं माउंटेन मैन की यादें

Charkhi Dadri (Pardeep Sahu) : चरखी दादरी जिले के गांव बिलावल निवासी संतलाल पर्यावरण के प्रति अपने अनूठे लगाव के लिए जाने जाते हैं। इनकी कार्यशैली दर्शाती है कि केवल पौधारोपण से पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया जा सकता। एक पौधे को वृक्ष में बदलने के लिए उसको संरक्षण की आवश्यकता भी होती है। ग्रामीण परिवेश में आदमी प्रकृति के प्रति कितना लगाव रखता है, इसका उदाहरण 76 वर्षीय संतलाल हैं।ज्यादातर जीवन एक चरवाहे के रूप में बिताने वाले संतलाल ने अपने आस–पास के परिवेश में काफी संख्या में पेड़ पौधों को संरक्षित किया है। उम्र के इस पड़ाव में भी पेड़–पौधों के प्रति इनका लगाव कम नहीं हुआ है। घर से लगभग 2 किलोमीटर दूर पहाड़ की तलहटी में इन्होंने करीब सवा सौ पेड़-पौधों का एक अपना ही जंगल बसाया हुआ है। सुबह शाम इनको कांधे पर पानी की बोतलें लटकाए पहाड़ की तरफ जाते हुए अक्सर देखा जा सकता है। कोलड्रिंक की खाली बोतलों का सदुपयोग करते हुए इनके जरिए इन्होंने सैंकड़ों पेड़ों को जीवन प्रदान किया है।संतलाल बताते हैं कि पहले काफी वर्षों तक गांव से ही बोतलों के माध्यम से पानी ले जाते थे। अब पास के जोहड़ में नहरी पानी आ जाने से उनका काम आसान हो गया है। वर्तमान में 6 से अधिक त्रिवेणियों को संरक्षित करने के साथ–साथ चीकू, बेर, जामुन, बेल–पत्र आदि फलों के पौधे भी लगा रखे हैं। काफी संख्या में नीम, शहतूत आदि पेड़ों को आवारा पशुओं से बचाव के लिए भी प्रबंध किया हुआ है।