आज से चैत्र नवरात्रे की शुरआत हो गई है

आज से चैत्र नवरात्रे की शुरआत हो गई है, पहला नवरात्रा मां शैलपुत्री का है और सुबह से ही मां काली के मंदिर में की भक्तो का तांता लगा हुआ है। अम्बाला के कालीबाड़ी मंदिर में दूर दूर से लोग मां के पूजा करने पहुंच रहे है। आज के दिन कई लोग कलश स्थापित भी करते है। अंबाला जय माता दी के नारों से गूंज उठा है। आज के दिन का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते रहते है ! काली बाड़ी मंदिर का इतिहास 100 साल से भी पुराना है !

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। मां अंबिका की भूमि कहीं जाने वाले अंबाला पूरी तरह जयमाता दी के नारे से गूंज उठा है। मंदिर पूरी तरह से सजे हुए है !  दूर दूर से भक्त मां का आशीर्वाद लेने मंदिर में पहुंच रहे है। पूरा अंबाला जय माता दी के नारों के गूंज उठा है। मंदिर में आए श्रद्धालुओं ने बताया की आज से मां के नवरात्रे शुरू हो गए है। आज पहला नवरात्रा मां शैलपुत्री का है। आज से हम लोग कलश स्थापित करते है और पूरे 9 दिन तक व्रत भी रखते है। इस दौरान सुबह शाम मां की पूजा अर्चना की जाती है और घरों में बस सात्विक भोजन ही बनता है। माता के मंदिर में आए भक्तो ने बताया कि काली माता का यह मंदिर बहुत पुराना है और जो भी यहां से मन्नत मगता है उसकी मन्नत पूरी जरूर होती है ! आज मंदिर में आकर लोग काफी खुश दिखाई दे रहे थे और हो भी क्यों न बहुत दिनो से भक्तों को नवरात्रों का इंतजार रहता है ! लोग अपने अपने तरीके से माता की पूजा अर्चना करते है और मां से अपनी मनोकामना पूर्ण करवाते है ! 
 मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस बार भी नवरात्रे पहले की तरह धूम धाम से मनाएंगे जायेंगे ! कोविड बीत चुका है और धीरे धीरे मंदिरों में भक्तो की भीड़ शुरू हो गई है ! उन्होंने कहा कि लोग आ रहे है और अपनी मन्नतें पूरी करवा रहे है ! उन्होंने बताया कि लोग वहां जाकर अपनी मन्नतें पूरी करवाते है ! मंदिर के पुजारी ने बताया कि आज से 150 साल पहले हमारे बजुर्गो ने इस मंदिर की स्थापना की थी ! उन्होंने बताया कि वो ही कलकता से माता काली की मूर्ति लेकर आए थे ! उन्होंने इस मूर्ति की स्थापना की थी ! उन्होंने बताया की ये विश्वास की बात होती है जिसको जहां विश्वास होता है वहां उनकी मन्नतें भी पूरी होती है ! आज मां शैलपुत्री का नवरात्रा है ! 9 दिन तक मां की पूजा अर्चना की जाती है।  पूरे 9 दिन तक मंदिर में भी अखंड जोत जलाई जाती है। अष्टमी को मां के सावरूप (कंजको) को पूजा जाता है।