अटल भू-जल योजना के तहत सिंचाई विभाग द्वारा किसानों को नि:शुल्क दिया जा रहा बाजरे का बीज

सरकार व कृषि विभाग के अलावा अन्य विभाग भी यहां भू-जल स्तर को सुधारने का प्रयास कर रहे है। यहां भू-जल स्तर घटने का एक बड़ा कारण यह भी है कि यहां पर धान की रोपाई अधिक होती है। यहां किसानों का धान से मोह नहीं छूट रहा। भू-जल स्तर में सुधार के लिए अब सिंचाई व अटल भू-जल योजना से जुड़े अधिकारी आगे आए है और किसानों को धान की जगह बाजरे की बिजाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

रादौर || लगातार गिरते भू-जल को लेकर सरकार द्वारा विभिन्न योजनाए व कार्यक्रम चलाकर लोगों को जल बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसी कड़ी में अटल भू-जल योजना के तहत सिंचाई विभाग द्वारा किसानों को निःशुल्क बाजरे का बीज दिया जा रहा है। ताकि किसान कम सिंचाई वाली फसल के प्रति जागरूक हो और अधिक से अधिक क्षेत्र में कम पानी वाली फसलों की खेती हो सके। 
गिरता भू-जल सभी के लिए चिंता का विषय है। जिला यमुनानगर के भी चार ब्लाक डार्क जोन घोषित किये गए है। जिनमें रादौर ब्लॉक को डार्क जोन घोषित किया हुआ है। यहां पर भू-जल स्तर तेजी से घट रहा है। सरकार व कृषि विभाग के अलावा अन्य विभाग भी यहां भू-जल स्तर को सुधारने का प्रयास कर रहे है। यहां भू-जल स्तर घटने का एक बड़ा कारण यह भी है कि यहां पर धान की रोपाई अधिक होती है। यहां किसानों का धान से मोह नहीं छूट रहा। भू-जल स्तर में सुधार के लिए अब सिंचाई व अटल भू-जल योजना से जुड़े अधिकारी आगे आए है और किसानों को धान की जगह बाजरे की बिजाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिसके लिए किसानों को बाजरे का बीज भी मुफ्त वितरित किया जा रहा है। 

अटल भू-जल योजना के आईईसी विशेषज्ञ भूपिंद्र सिंह ने बताया कि ब्लॉक रादौर के अलावा सरस्वती नगर, जगाधरी व साढ़ौरा में किसानों को बाजरे का बीज नि:शुल्क वितरित किया जा रहा है। एक किसान 5 एकड़ तक बीज उनसे ले सकता है। बीज लेने के किसान अटल भू-जल योजना के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ खंड कृषि अधिकारियों व कर्मचारियों से संपर्क साध सकता है। उन्होंने कहा कि भू-जल स्तर में सुधार के लिए किसानों को बीज वितरित करने के साथ-साथ जागरूक भी किया जा रहा है, ताकि किसान धान के मोह को छोड़ अन्य वैकल्पिक फसलों की बिजाई करें, जिनमें पानी की खपत कम रहती है। 

वही किसानों ने भी विभाग के इस प्रयास की सराहना की और अन्य किसानों को भी जल बचाने की इस मुहिम में आगे आने के लिए प्रेरित किया। एक किसान का कहना है कि अगर भू-जल को बचाना है, तो हमें कम सिंचाई फसल लगानी चाहिए।