सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर लगा करोड़ों रुपए के पत्थरों का गोलमाल करने का आरोप

 मानसून सिर पर है लेकिन विभाग की तैयारी आधी अधूरी है इतना ही नहीं तटबंध के लिए लगाए जाने वाले पत्थर भी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र में बहती नदी में से यमुना का सीना चीर कर निकाले जा रहे हैं। जबकि नियमानुसार इसकी खरीद की जाती है। यमुना से ही पत्थर उठाने संबंधित प्रश्न जब सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर के मित्तल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमारे यमुनानगर बाढ़ प्रबंधन के टोटल जो शार्ट टर्म कार्य है वो कुल 31 जगह पर होने है जिनमें से 3 काम पंचकूला के और 28 काम यमुनानगर जिले के है।

यमुनानगर || एक कहावत है कि आग लगने पर कुछ लोग कुआं खोदने की बात करते हैं यही कहावत सिंचाई विभाग के अधिकारियों पर खरी उतर रही है। मानसून सिर पर है लेकिन बाढ़ प्रबंधों के काम आधे अधूरे हैं और उसमें भी करोड़ों रुपए के पत्थरों का गोलमाल हो रहा है। बहती यमुना से नदी का सीना चीर कर पत्थर उठाकर तटबंध के लिए लगाए जा रहे हैं। वही इस मामले में सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यमुना में से पत्थर नही निकाले जा सकते यदि ऐसा किया जा रहा है तो जांच कर मामला दर्ज करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां तक बाढ़ प्रबंधन के कार्यो की बात है तो दो-तीन काम टेंडरिंग प्रोसेस की वजह से लेट हुए है। पोर्टल पर नया प्रोसेस था बाकी 30 जून तक शार्ट टर्म के सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे।
बाढ़ प्रबंधों के लिए करोड़ों रुपए सरकार द्वारा हर जिलों में हर वर्ष भेजे जाते हैं लेकिन यथार्थ के धरातल पर इनकी सच्चाई कुछ और ही नजर आती है।  मानसून सिर पर है लेकिन विभाग की तैयारी आधी अधूरी है इतना ही नहीं तटबंध के लिए लगाए जाने वाले पत्थर भी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र में बहती नदी में से यमुना का सीना चीर कर निकाले जा रहे हैं। जबकि नियमानुसार इसकी खरीद की जाती है। यमुना से ही पत्थर उठाने संबंधित प्रश्न जब सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर के मित्तल से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमारे यमुनानगर बाढ़ प्रबंधन के टोटल जो शार्ट टर्म कार्य है वो कुल 31 जगह पर होने है जिनमें से 3 काम पंचकूला के और 28 काम यमुनानगर जिले के है। वही उन्होंने बताया कि शार्ट टर्म काम वो होते है जिन्हें 30 जून तक पूरा किया जाना होता है। वहीं 24 जगह पर बाढ़ प्रबंधन का काम चल रहा है दो तीन काम टेंडरिंग प्रोसेस लेट हुआ है। क्योंकि पोर्टल पर इस बार नया प्रोसेस था।

सिंचाई विभाग के एसई ने बताया कि बाढ़ प्रबंधन के कुल काम 12 करोड़ से अधिक के अलॉट हुए थे अभी 10 करोड़ 15 लाख के काम अलॉट हुए है। वहीं बाढ़ प्रबंधन के काम के लिए उन्होंने कहा कि इन कामों के लिए यमुना में से पत्थर नही उठाया जा सकता यदि ऐसा हो रहा है तो नियमों के विरुद्ध है। मेरे संज्ञान में मीडिया के माध्यम से ये मामला आया है। इसकी जांच करवाई जाएगी और अगर ऐसा हो रहा है तो एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इन कार्यो में 70 प्रतिशत काम पत्थर ही सप्लाई का होता है। बाकी काम में ज्यादा समय नही लगता। जितना भी पत्थर लगाया जा रहा है विभाग की तरफ से चेक किया जाता है। वैसे विजिलेंस की टीम इसके लिए अलग से बनाई गई है। हम इनको वेरीफाई कर सकते है। वहीं जिला स्तर पर भी डीसी के अंडर टीम बनाई गई है जिसमें एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं और वो भी जांच करते है। इसको डीएलसी कहा जाता है डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी।100 प्रतिशत काम होने के बाद ही पेमेंट की जाती है।

बहरहाल देखना होगा कि मानसून से पहले बाढ़ प्रबंधन के कार्य पूरे होते हैं या आधे अधूरे प्रोजेक्ट बाढ़ में बह जाते हैं। जिससे करोड़ों के राजस्व को चूना लगता है। हालांकि विभागीय अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सभी प्रबंध समय से कर लिए जाएंगे।