फोन पे बना साइबर ठग्गो का नया हथियार

हेलो में आप का दोस्त बोल रहा हु। आप के रिश्तेदार की तबियत खराब हो गई है। उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल करवाया है। कुछ पैसे कम पड़ रहे है बताए गए नम्बर पर ट्रांसफर कर दो। जैसे ही कोई पैसे ट्रांसफर करता तो उसका बैंक एकाउंट हो जाता खाली। गुरुग्राम की साइबर क्राइम यूनिट ने ऐसे चार ठग्गो को प्रतिबिंब ऐप के माध्यम से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है, जो अब तक पहचान बना कर 100 से अधिक वारदातो को अंजाम दे लोगो को लाखों रुपए का चूना लगा ऐश की जिंदगी जी रहे थे। एसीपी साइबर क्राइम प्रियांशु दिवान की माने तो प्रतिबिंब एप्लिकेशन की मॉनिटरिंग व पुलिस तकनीकी से मकान नम्बर E-145, सैक्टर 56, गुरुग्राम में फर्जी तरीके से फोन कॉल पर लोगों को जानकर बताकर तथा इमरजेंसी के नाम पर धोखाधड़ी करते हुए ठगी करने वाले 4 आरोपियों को काबू किया गया, जिनकी पहचान विकेश सिंह,रामभरोसी, जगमोहन व शुभम के रुप मे हुई है। पुलिस ने आरोपियो के खिलाफ आईपीसी धारा 419, 420, 34 के तहत केस दर्ज कर लिया है।

हेलो में आप का दोस्त बोल रहा हु। आप के रिश्तेदार की तबियत खराब हो गई है। उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल करवाया है। कुछ पैसे कम पड़ रहे है बताए गए नम्बर पर ट्रांसफर कर दो। जैसे ही कोई पैसे ट्रांसफर करता तो उसका बैंक एकाउंट हो जाता खाली। गुरुग्राम की साइबर क्राइम यूनिट ने ऐसे चार ठग्गो को प्रतिबिंब ऐप के माध्यम से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है, जो अब तक पहचान बना कर 100 से अधिक वारदातो को अंजाम दे लोगो को लाखों रुपए का चूना लगा ऐश की जिंदगी जी रहे थे। एसीपी साइबर क्राइम प्रियांशु दिवान की माने तो प्रतिबिंब एप्लिकेशन की मॉनिटरिंग व पुलिस तकनीकी से मकान नम्बर E-145, सैक्टर 56, गुरुग्राम में फर्जी तरीके से फोन कॉल पर लोगों को जानकर बताकर तथा इमरजेंसी के नाम पर धोखाधड़ी करते हुए ठगी करने वाले 4 आरोपियों को काबू किया गया, जिनकी पहचान विकेश सिंह,रामभरोसी, जगमोहन व शुभम के रुप मे हुई है। पुलिस ने आरोपियो के खिलाफ आईपीसी धारा 419, 420, 34 के तहत केस दर्ज कर लिया है।  
पुलिस पूछताछ में पता चला कि आरोपी पहले फोन-पे पर नंबर चेक करते हैं कि वह नंबर फोन-पे पर है या नहीं, उसके बाद जो मोबाईल नंबर फोन-पे पर रजिस्टर्ड होता है उस नंबर पर कॉल करके उस व्यक्ति को उसका जानकर बताकर पहचान के लिए बोलते हैं। जब वह व्यक्ति जिसका नाम लेता तो वही बनकर उससे अपने किसी रिश्तेदार को अस्पताल में भर्ती होने की बात कहकर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे तथा जो व्यक्ति इनको पहचान से मना कर देता उसके पास उसके बैंक खाता में रुपए भेजने का झूठा मैसेज भेज कर उनसे कहते हैं कि आपके पास गलती से रुपए ट्रांसफर हो गए इसलिए वह रुपए वापस मंगवाकर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे।
आरोपियों से पुलिस पूछताछ में यह भी ज्ञात हुआ कि ठगी गई राशि को इनके अन्य साथी के बैंक खाता में ट्रांसफर कर देते थे। इनका साथी 30% कमीशन रखकर बाकी रुपए इन्हें नगद दे देता था।  आरोपी पहले अपने गांव में ही रहकर ठगी की वारदात को अंजाम देते आ रही थे तथा गुरुग्राम में 5-6 दिनों से ठगी की वारदातों को अंजाम देने में सक्रिय थे। आरोपियो द्वारा ठगी में प्रयोग किए जाने वाले मोबाईल फोन भी इनके कब्जे से पुलिस ने बरामद किए है।
उल्लेखनीय है कि बढ़ते साईबर अपराधों को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले इंडियन साईबर क्राईम कोआर्डिनेशन सेंटर (I4C) द्वारा प्रतिबिंब पोर्टल तैयार किया गया है, जिसकी मदद से किसी इलाके में सक्रिय साईबर अपराधियों की रियल टाइम जानकारी उस क्षेत्र की पुलिस को मिल जाती है। जिससे त्वरित कार्यवाही करने का मौका स्थानीय पुलिस के पास उपलब्ध रहता है। गुरुग्राम पुलिस बढ़ते साईबर अपराध को रोकने मे तथा आपराधियों को पकड़ने मे पूर्ण निष्ठा से कार्यरत है।