सीबीएलयू से छात्र नेता के निष्कासन के बाद इनसो व विद्यार्थियों में रोष

इस मौके पर इनसो छात्र नेता सौरभ व आकाश ने आरोप लगाया कि पहले जहां सीबीएलयू प्रशासन जान-बूझकर विभिन्न समस्याएं परीक्षार्थियों के समक्ष खड़ा करता है तथा जब कोई विद्यार्थी हित में उन समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाता है तो अपनी कमियां छिपाने के लिए तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाते हुए छात्र नेताओं पर ही कार्रवाई करते हुए उन्हे निष्कासित कर दिया जाता है, जो कि सीबीएलयू प्रशासन का अनुचित फैसला है। 

भिवानी || इनसो छात्र नेता नितिन सैन को स्थानीय चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय से निष्कासित किए जाने के बाद से ना केवल इनसो, बल्कि विद्यार्थियों में भी रोष थमने का नाम नहीं ले रहा तथा वह रोजाना अलग-अलग तरीकों से जाहिर कर सीबीएलयू प्रशासन से छात्र नेता नितिन सैन के निष्कासन के फैसले को वापिस लेने की मांग कर रहे है। इसी कड़ी में आज गुरुवार को इनसो छात्र नेता सौरभ के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने महाराजा नीम सिंह महाविद्यालय के समक्ष सीबीएलयू प्रशासन का पुतला फूंक विरोध जताया। 
इस दौरान इनसो साहित विद्यार्थियों ने एक स्वर में कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन सीबीएलयू प्रशासन की विद्यार्थी विरोधी नीतियों को उजागर करने वाले छात्र नेता पर कार्रवाई करना अनुचित है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि धरना कर भूख हड़ताल पर बैठेंगे छात्र। इस मौके पर इनसो छात्र नेता सौरभ व आकाश ने आरोप लगाया कि पहले जहां सीबीएलयू प्रशासन जान-बूझकर विभिन्न समस्याएं परीक्षार्थियों के समक्ष खड़ा करता है तथा जब कोई विद्यार्थी हित में उन समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाता है तो अपनी कमियां छिपाने के लिए तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाते हुए छात्र नेताओं पर ही कार्रवाई करते हुए उन्हे निष्कासित कर दिया जाता है, जो कि सीबीएलयू प्रशासन का अनुचित फैसला है। 

उन्होंने कहा कि अपने हितों की आवाज उठाना विद्यार्थियों का हक है तथा सीबीएलयू छात्र नेता को निष्कासित कर विद्यार्थियों को उनके हितों से आवाज उठाने से रोकना चाहता है, ताकि विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी कमियों को भली प्रकार से छिपा सकें। उन्होंने कहा कि सीबीएलयू प्रशासन चाहता है कि वो विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करता रहे तथा उसके खिलाफ कोई आवाज तक ना उठाएं। उन्होंने कहा कि यदि सीबीएलयू प्रशासन चाहता है कि विश्वविद्यालय कैंपस में किसी प्रकार के धरने-प्रदर्शन ना हो तो विद्यार्थियों के समक्ष समस्याएं खड़ी करने की बजाए उनके समाधान की तरफ ध्यान देना चाहिए।