भिवानी - नगर कीर्तन का आयोजन श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर निकाली गई शोभा यात्रा!

भिवानी || पुरानी देवसर चुंगी स्थित गुरद्वारा साहिब से पंज प्यारों की अगुवाई में शोभा यात्रा निकाली गई। इस दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को फूलों से सजी पालकी में भक्तों के दर्शनार्थ के लिए शहर के मुख्य मार्गों पर ले जाया गया। घोड़ा पालकी में अलग-अलग 4 साहिबजादों व गुरु गोबिंद सिंह , श्री गुरु नानक देव जी के चित्रों को सजाया  गया।

भिवानी || पुरानी देवसर चुंगी स्थित गुरद्वारा साहिब से पंज प्यारों की अगुवाई में शोभा यात्रा निकाली गई। इस दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को फूलों से सजी पालकी में भक्तों के दर्शनार्थ के लिए शहर के मुख्य मार्गों पर ले जाया गया। घोड़ा पालकी में अलग-अलग 4 साहिबजादों व गुरु गोबिंद सिंह , श्री गुरु नानक देव जी के चित्रों को सजाया  गया। वही पंज प्यारों के आगे महिलाओं ने झाड़ू लगाकर रास्ते को पानी से पवित्र किया तथा फूलों की बौछार भी की गई। 

इस दौरान भिवानी विधायक घनश्याम सर्राफ ने भी शोभायात्रा में पहुँच कर जो बोले सो निहाल का जयकारा लगाकर श्री गुरुग्रंथ साहिब के आगे नतमस्तक हुए। 
गुरु गोबिंद सिंह जी बाज को नगर कीर्तन लाया गया जो कि शोभा यात्रा का मुख्य आकर्षण बिंदु नजर आया श्रद्धालुगण बाज के साथ सेल्फी लेते नजर आए। 

शोभा यात्रा में सजाई गई भव्य पालकी जब शहर के मुख्य मार्गों से गुजरी तो शहरवासियों ने नतमस्तक होकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का नमन किया। यह नगर कीर्तन पुरानी देवसर चुंगी गुरूद्वारा साहिब से शुरू होकर रिंग रोड होते हुए दादरी गेट, जैन चौक, बिचला बाजार, मुख्य गुरुद्वारा में पंज प्यारों द्वारा मत्था टेकने के बाद घंटाघर, कृष्णा कॉलोनी, दिनोद गेट से होते हुए पुरानी देवसर चुंगी गुरुद्वारे में संपन्न हुई। शोभायात्रा में रास्ते में संगत द्वारा प्रसाद बांट कर खूब सेवा की गई।

पंजाब के संगरूर से अकाल गतका ग्रुप द्वारा हैरतअंगेज करतब दिखाए गए। जिसमें आंखों पर पट्टी बांधकर दूसरे सिक्ख युवक के सिर पर नारियल रखकर उसे हथौड़े से तोडऩे के साथ-साथ अन्य करतबों ने भी दर्शकों के दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। अकाल गतका गु्रप के जत्थेदार मनवीर सिंह ने बताया छठी पातशाह श्री हर गोबिंदराय जी ने मीरी-पीरी की शुरुआत की थी, जिसमें हर सिख को दो तलवारें रखने के आदेश दिए थे। एक तलवार योद्धा के रूप में व दूसरी भक्ति के रूप में दर्शाई गई थी। पुराने समय में मुगलों से टक्कर लेने के लिए सिक्खों को गतका मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जाती थी, ताकि आत्मरक्षा कर सके, ये सब गुरु के आदेश थे। गुरूद्वरा के मुख्य ग्रंथी सतनाम सिंह ने बताया कि श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर भिवानी में दूसरी बार इस नगर कीर्तन का आयोजन किया गया जिसमें शहरवासियों ने बढ़-चढक़र भाग लिया।