स्वच्छता अभियान के नाम पर गुड़गांव में तैयार हुए कूड़े के पहाड़

स्वच्छता अभियान चलाकर भले ही गुड़गांव को नंबर वन बनाने की योजना नगर निगम ने बनाई हो, लेकिन यह योजना महज कागजों में ही चल रही है। शहर के बीचोंबीच कूड़े के पहाड़ लगाए जा रहे हैं जिससे मानों लग रहा हो कि बंधवाड़ी में लगे कूड़े के ढेर की छोटी-छोटी ब्रांच बन गई हों। शहर से घर-घर से कूड़ा उठाने की योजना भी ठप हो गई है। यही कारण है कि लोगों ने सड़काें को ही कूड़ादान बना दिया है और आधी से ज्यादा सड़कें कूड़े के ढेर में तब्दील हो गई हैं। हैरत की बात यह है कि हर साल स्वच्छता के नाम पर नगर निगम द्वारा 200 करोड़ से अधिक खर्च किए जाते हैं, लेकिन यह रुपए कहां खर्च किए जा रहे हैं इसका कुछ पता नहीं लग रहा है। हालात यह बन गए हैं कि लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो गया है।

स्वच्छता अभियान चलाकर भले ही गुड़गांव को नंबर वन बनाने की योजना नगर निगम ने बनाई हो, लेकिन यह योजना महज कागजों में ही चल रही है। शहर के बीचोंबीच कूड़े के पहाड़ लगाए जा रहे हैं जिससे मानों लग रहा हो कि बंधवाड़ी में लगे कूड़े के ढेर की छोटी-छोटी ब्रांच बन गई हों। शहर से घर-घर से कूड़ा उठाने की योजना भी ठप हो गई है। यही कारण है कि लोगों ने सड़काें को ही कूड़ादान बना दिया है और आधी से ज्यादा सड़कें कूड़े के ढेर में तब्दील हो गई हैं। हैरत की बात यह है कि हर साल स्वच्छता के नाम पर नगर निगम द्वारा 200 करोड़ से अधिक खर्च किए जाते हैं, लेकिन यह रुपए कहां खर्च किए जा रहे हैं इसका कुछ पता नहीं लग रहा है। हालात यह बन गए हैं कि लोगों का पैदल चलना भी दूभर हो गया है। 
शहर की देवी लाल कॉलोनी, कृष्णा कॉलोनी, रवि नगर, मदन पुरी, जैकबपुरा, शिवपुरी, भीम नगर सहित कई अन्य ऐसी कॉलोनियां हैं जहां कूड़े के ढेर देखने को मिल रहे हैं। इसके अलावा इस कूड़े से उठने वाली बदबू के कारण लोगों का जीना मुहाल हो गया है। पिछले सप्ताह से नगर निगम कमिश्नर नरहरि सिंह बांगड़ द्वारा शहर शहर को स्वच्छ करने के लिए अभियान चलाए जाने का दावा किया जा रहा है। इस दावे में कहा जा रहा है कि नगर निगम के अधिकारी स्वयं मौके पर पहुंचकर कूड़े के ढेर का उठान करा रहे हैं, लेकिन शहर में जो हालात हैं उसे देखकर यह दावे महज कागजों में ही दिखाई दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाला नगर निगम गुड़गांव केवल माल बटोरने के लिए ही बनाया गया है। विकास के नाम पर गुड़गांव का विनाश किया जा रहा है। कुछ लोगों द्वारा नगर निगम को नरक निगम की संज्ञा देते हुए अधिकारियों पर निगम के फंड का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया गया है। लोगों का कहना है कि नगर निगम की आय का अगर 10 प्रतिशत फंड भी गुड़गांव में खर्च कर सफाई व्यवस्था दुरुस्त कराने का ईमानदारी से काम किया जाए तो गुड़गांव को स्वच्छ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा सकती।
नगर निगम के खिलाफ लोगों का गुस्सा साफ देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि नगर निगम अधिकारी अपने कार्यालयों में बैठकर बड़े-बड़े दावे तो कर देते हैं, लेकिन धरातल की स्थिति देखने के लिए कोई तैयार नहीं है। कूड़े के कारण शहरवासी बीमार होने लगे हैं और यही हालात रहे तो शहर में महामारी फैलने में भी अधिक समय नहीं लगेगा। पहले तो नगर निगम अधिकारियों के पास सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का बहना था, लेकिन आज कर्मचारियों के ड्यूटी पर हाेने के बावजूद भी सफाई नहीं हो रही है। लोगों का कहना है कि जल्द ही शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई तो वह नगर निगम के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ने से पीछे नहीं हटेंगे।