गुरुग्राम- क्यूविस जॉइंट रोबोटिक सिस्टम से होगी टोटल नी रिप्लेसमेंट

आजकल घुटनों की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सुस्त जीवन शैली, शारीरिक व्यायाम की कमी और घुटने की चोटों की अनदेखी समाज में इस बढ़ती प्रवृत्ति के कुछ प्रमुख कारण हैं।

गुरुग्राम- क्यूविस जॉइंट रोबोटिक सिस्टम से होगी टोटल नी रिप्लेसमेंट

|| Gurugram || Aditya Kumar || 45-50 साल के लोगों में आजकल घुटनों की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। सुस्त जीवन शैली, शारीरिक व्यायाम की कमी और घुटने की चोटों की अनदेखी समाज में इस बढ़ती प्रवृत्ति के कुछ प्रमुख कारण हैं। मरीजों में आमतौर पर लंगडाना, घुटनों में सूजन, घुटनों में दर्द,सीढ़ियां चढ़ते समय और विभिन्न अन्य दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को करने में कठिनाई के लक्षण सामने आ रहे हैं।

डॉ आई पी एस ओबेरॉय ने कारण बताया

इनमें से ज्यादातर लक्षण आमतौर पर 60 साल और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों में देखे जाते हैं, हालाँकि, आजकल 45 और 50 साल के आयु वर्ग के व्यक्तियों के अधिक मामले आ रहे हैं, जिसका मतलब है कि युवाओं में घुटने का गठिया अब एक बड़ी चिंता और देश के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है।

डॉ रवि सोहता ने कहा पुराना घुटने का दर्द एक आम शिकायत है जो आम तौर पर मध्यम से वृद्ध लोगों को प्रभावित करता है। पुराना घुटने का दर्द किसी चोट की वजह से हो सकता है, जैसे लिगामेंट का टूटना या कार्टिलेज का फटना या ऐसी स्थितियों के कारण जिनमें गठिया, गाउट और संक्रमण शामिल हैं। ज्यादातर मामलों में शारीरिक चिकित्सा, दवाएं, जीवनशैली में बदलाव समस्याओं को कम करने और रोजमर्रा के जीवन को सक्रिय बनाए रखने में मदद करते हैं।आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम ने घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए क्यूविस ज्वाइंट रोबोटिक सिस्टम का अधिग्रहण किया है। यह सिस्टम चलाने में आसान है और काटने के विकल्पों की एक श्रृंखला के साथ सर्जनों को लचीलापन प्रदान करता है। प्रक्रियाएं सटीक, न्यूनतम इनवेसिव और मरीजों के लिए बहुत ही सुरक्षित हैं। 

क्यूविस ज्वाइंट रोबोटिक सिस्टम की सहायता से सर्जन सटीक इम्प्लांट प्लेसमेंट कर सकते हैं, जिससे सर्जरी के बाद मरीजों को फ़ायदा होता है क्योंकि नज़दीक के टिश्यू को चोट लगने का जोखिम कम होता है और रोबोटिक सर्जरी के बाद संक्रमण का ख़तरा भी कम होता है। छोटे चीरों की वजह से मरीज का कम खून बहता है और दर्द भी काफी कम होता है। इम्प्लांट्स काफ़ी दिनों तक चलते हैं, जिससे मरीजों के घुटने काफ़ी दिनों तक काम करते हैं और जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।