विज के चुनावी प्रचार से गायब रहा अबकी बार 75 पार का नारा , विज का इस पर बड़ा बयान , जो काम करेगा वही राजनीति में जिंदा रहेगा

तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं कि अनिल विज को यह पहले से पता था कि हरियाणा में 75 पर करना इस बार टेढ़ी खीर है। लेकिन ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर पूरा सरकारी तंत्र साथ लेकर चल रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को यह आभास क्यों नही हुआ कि हरियाणा में 75 सीटों का जादुई आंकड़ा हासिल करना भाजपा के लिए कोई आसान काम नहीं ।

विज के चुनावी प्रचार से गायब रहा अबकी बार 75 पार का नारा , विज का इस पर बड़ा बयान , जो काम करेगा वही राजनीति में जिंदा रहेगा

,भाजपा ने भले ही "अबकी बार 75 पार" का नारा दिया हो लेकिन हरियाणा की राजनीति के गब्बर अनिल विज ने इस नारे का इस्तेमाल न तो अपने किसी बैनर पोस्टर में किया ना ही पूरे चुनावी प्रचार में , ऐसे में माना जा सकता है कि विज को आभास था कि इस बार 75 पार के इस नारे का सपना पूरा होने वाला नहीं । लिहाजा विज ने अपने चुनावी प्रचार में काम किया है काम करेंगे के नारे को बुलंद किया और एक बड़ी जीत हासिल की । विज ने आज इस पर भी बड़ा बयान दियाकि आने वाले समय मे वही जिंदा रहेगा जो काम किया है काम करेगा के नारे पर चलेगा ।   ये तस्वीरें हैं अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र की , जहां से एक बार फिर हरियाणा के दबंग मंत्री अनिल विज ने जीत हासिल की है। लेकिन इस बार के चुनावी नतीज़े भाजपा की उम्मीदों के अनुरूप नही थे और भाजपा अपने 75 पार के नारे से कोसों दूर रह गयी । जहां एक तरफ पूरी भाजपा 75 पार के नारे को लेकर जनता के बीच जा रही थी वहीं शायद अनिल विज को यह अहसास था कि भाजपा 75 के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाएगी।  यह सवाल हम नहीं बल्कि अनिल विज की चुनावी सामग्री और पूरे अंबाला छावनी में लगी बड़ी बड़ी होर्डिंग्स खुद खड़ा कर रही हैं। जी हां ये तस्वीरें गौर से देखिए जो खुद ये सवाल खड़ा कर रही हैं कि क्या अनिल विज ये जानते थे कि भाजपा प्रदेश में 75 सीटें हासिल नहीं कर पायेगी । वहीं जब अनिल विज से इस मामले को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने अपने अंदाज में सभी नेताओं को ये नसीहत दे डाली कि आने वाले समय मे राजनीति में वही नेता जीवित रहेगा जो उनके निजी नारे " काम किया है काम करेंगे" पर कार्य करेगा ।तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं कि अनिल विज को यह पहले से पता था कि हरियाणा में 75 पर करना इस बार टेढ़ी खीर है। लेकिन ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर पूरा सरकारी तंत्र साथ लेकर चल रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को यह आभास क्यों नही हुआ कि हरियाणा में 75 सीटों का जादुई आंकड़ा हासिल करना भाजपा के लिए कोई आसान काम नहीं ।