पानीपत के तीन जिला उपायुक्तों को जीटी रोड प्रमुख सडक़ों से अवैध कब्जे ना हटवाने का दोषी पाते हुए लोकायुक्त से तीनों के विरूद्ध उचित कारवाई की अनुशंसा .......

लेकिन जिला प्रशासन ने कभी एक तो कभी दूसरा बहाना बनाकर कब्जे नहीं हटवाए। ना तो वर्तमान डीसी व ना ही वर्ष 2015 से लगे डीसी ने अवैध कब्जे हटवाने बारे कोई रूचि दिखाई। कभी पुलिस फोर्स ना मिलने तो कभी हाई वोल्टेज बिजली तारों के गुजरने का बहाना बनाते रहे। ऐसा लगता हे कि जिला उपायुक्त व नगरपालिका के अधिकारी प्रभावशाली व्यक्तियों के दबाव के कारण इन अवैध कब्जों को हटवाने में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं।

पानीपत के तीन जिला उपायुक्तों को जीटी रोड प्रमुख सडक़ों से अवैध कब्जे ना हटवाने का दोषी पाते हुए लोकायुक्त से तीनों के विरूद्ध उचित कारवाई की अनुशंसा .......

लोकायुक्त रजिस्ट्रार ने अपनी जांच में पानीपत के तीन जिला उपायुक्तों को जीटी रोड सहिहत प्रमुख सडक़ों से अवैध कब्जे ना हटवाने का दोषी पाते हुए लोकायुक्त से तीनों के विरूद्ध उचित कारवाई की अनुशंसा की है। लोकायुक्त रजिस्ट्रार डा० एमएस सुल्लर ने इन तीनों जिला उपायुक्तों के विरूद्ध अपनी जांच रिपोर्ट में कठोर टिप्पणी की है। इन तीन उपायुक्तों में पानीपत की वर्तमान डीसी सुमेधा कटारिया, तत्कालीन डीसी समीरपाल सरों व डा० चन्द्रशेखर खरे शामिल हैं।केस की आगामी सुनवाई 20 नवम्बर को लोकायुक्त (जस्टिस) एनके अग्रवाल करेंगे।आरटीआई एक्टिविस्टि पीपी कपूर ने 8 अगस्त 2015 को लोकायुक्त को शिकायत भेज कर जीटी रोड पानीपत (86 से 96 किमी) व समालखा की प्रमुख सडक़ों रेलवे रोड, चुलकाना रोड, जौरासी रोड, बिहौली रोड, रेलवे रोड से मनाना फाटक रोड व जीटी रोड समालखा पर अवैध कब्जों को हटवाने की मांग की थी। आरोप लगाया था कि अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा जनता ट्रैफिक जाम के रूप में भुगत रही है। लोकायुक्त द्वारा कराई गई जांच में कपूर के आरोप सिद्ध पाए गए। लोकायुक्त की जांच व सुनवाई के चलते समालखा में जीटी रोड पर नैशनल हाईवे की भूमि पर निशानदेही में कुल 79 अवैध कब्जे पाए गए। इनमें 25 अवैध कब्जे 19 जुलाई 2019 को ध्वस्त कर दिए गए। इसी बीच कुछ कब्जाधारियों ने हाईकोर्ट से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया। लोकायुक्त रजिस्ट्रार ने जांच रिपोर्ट में कहा की अवैध कब्जों के विरूद्ध वर्ष 2015 में शिकायत आई थी। लेकिन जिला प्रशासन ने कभी एक तो कभी दूसरा बहाना बनाकर कब्जे नहीं हटवाए। ना तो वर्तमान डीसी व ना ही वर्ष 2015 से लगे डीसी ने अवैध कब्जे हटवाने बारे कोई रूचि दिखाई। कभी पुलिस फोर्स ना मिलने तो कभी हाई वोल्टेज बिजली तारों के गुजरने का बहाना बनाते रहे। ऐसा लगता हे कि जिला उपायुक्त व नगरपालिका के अधिकारी प्रभावशाली व्यक्तियों के दबाव के कारण इन अवैध कब्जों को हटवाने में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं।