गुरुग्राम-जुड़वा भाइयों ने JEE में गुरुग्राम का नाम किया रोशन

हरियाणा के गुरुग्राम के सेक्टर-69 ट्यूलिप वाइट सोसाइटी में रहने वाले आरव भट्ट और आरुष भट्ट ने जेईई की परीक्षा में टॉप करके अपने परिजनों के साथ-साथ गुरुग्राम का भी नाम रोशन किया है। इस परीक्षा में आरव ने ऑल इंडिया तीसरी रैंक हासिल की है जबकि आरुष ने 5660 रैंक हासिल की है। दोनों बच्चों की इस उपलब्धि से माता-पिता और रिश्तेदारों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। फिलहाल दोनों एडवांस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। आरव की मानें तो उनके पिता इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और मां ने एमएससी मैथ किया हुआ है और योगा टीचर है। मां ने ही उन्हें मैथ में पढ़ाया और बचपन से ही मैथ और साइंस अच्छी होने के कारण उन्होंने इंजीनियर बनने का सोचा था। देर रात तक पढ़ाई करने के साथ ही माता-पिता और टीचर के गाइडेंस से आज वह देश के टॉप 23 टॉपर में से एक हैं। उन्होंने बताया कि जब वह नवीं कक्षा में थे तब लॉकडाउन लगा था। उस वक्त से ही मोबाइल और खेल से दूरी बनाने की आदत पड़ गई थी। इस दूरी का फायदा उन्हें मिला और आज वह इस मुकाम पर हैं।

हरियाणा के गुरुग्राम के सेक्टर-69 ट्यूलिप वाइट सोसाइटी में रहने वाले आरव भट्ट और आरुष भट्ट ने जेईई की परीक्षा में टॉप करके अपने परिजनों के साथ-साथ गुरुग्राम का भी नाम रोशन किया है। इस परीक्षा में आरव ने ऑल इंडिया तीसरी रैंक हासिल की है जबकि आरुष ने 5660 रैंक हासिल की है।
दोनों बच्चों की इस उपलब्धि से माता-पिता और रिश्तेदारों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। फिलहाल दोनों एडवांस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। आरव की मानें तो उनके पिता इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं और मां ने एमएससी मैथ किया हुआ है और योगा टीचर है। मां ने ही उन्हें मैथ में पढ़ाया और बचपन से ही मैथ और साइंस अच्छी होने के कारण उन्होंने इंजीनियर बनने का सोचा था। देर रात तक पढ़ाई करने के साथ ही माता-पिता और टीचर के गाइडेंस से आज वह देश के टॉप 23 टॉपर में से एक हैं। उन्होंने बताया कि जब वह नवीं कक्षा में थे तब लॉकडाउन लगा था। उस वक्त से ही मोबाइल और खेल से दूरी बनाने की आदत पड़ गई थी। इस दूरी का फायदा उन्हें मिला और आज वह इस मुकाम पर हैं। 
वही आरुष की मानें तो उन्होंने अपना करियर लॉकडाउन में तय कर लिया था। हालांकि उनके भाई ने अभी तक कोई ऐम डिसाइड नहीं किया, लेकिन उन्होंने लॉकडाउन के दौरान ही आईआईटी में मैथ प्रोफेसर बनने का तय किया था। वह आईआईटी में मैथ प्रोफेसर बनकर देश के एजुकेशन सिस्टम को सुधारना चाहते हैं। तैयारी के दौरान हर कोई मोबाइल, सोशल मीडिया से दूर हो जाता है। यहां तक कि उनका भाई भी सोशल मीडिया से दूर हो गया था, लेकिन वह दूर नहीं हुए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से वह लगातार जुड़े रहे। सोशल मीडिया के नाम पर वह लिंकडिन के जरिए अपने सीनियर से जुड़े रहे और उनका गाइडेंस लेते रहे।
फिलहाल अपनी इस उपलब्धि पर दोनों भाइयों के साथ परिजन भी खुश हैं। अब दोनों भाइयों ने एडवांस परीक्षा की तैयारी भी शुरु कर दी है। दोनों ही उन छात्रों और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं जो मोबाइल का इस्तेमाल केवल मनोरंजन के लिए करते हैं। आरुष और आरव की मानें तो मोबाइल का उपयोग सही किया जाए तो यह आपका भविष्य सुधार सकता है।