मध्यप्रदेश  : पन्ना हीरे पर भी कोरोना का कहर सुखी पड़ी पन्ना जिले की उथली हीरा खदाने ...

जिन खदानों में एक समय मेला लगा रहता था आज उन खदानों में परिंदा भी पर नही मार रहा है मजदूरों और ठेकेदार अपने-अपने घरों में कैद है,,,,,चाल पूरी तरह से सूख चुकी है। सभी इन खदानों के खुलने के इंतिजार में बैठे है कि कब खदानों का काम शुरू हो और वो अपनी किस्मत आजमाए। वही हीरा अधिकारी की माने तो इस साल अभी तक पिछले साल की अपेक्षा कम हीरे जमा हुए है और हीरा विभाग को भी हानि हुई है जो पिछले माह नीलामी होनी थी वो भी लॉक डाउन की वजह से नही हुई।

मध्यप्रदेश  : पन्ना  हीरे पर भी कोरोना का कहर सुखी पड़ी पन्ना जिले की उथली हीरा खदाने  ...

 पन्ना ( अतुल रैकवार ) पन्ना जिला जो कि विश्व मे अनमोल रत्न हीरो की नगरी के नाम से जाना जाता है,,,,कहते है कि यहां की धरती पल भर में ही किसी को भी रंक से राजा बना देती है,,,,इसी के चलते फिल्मी दुनिया मे "पन्ना की तमन्ना है,,,की हीरा मुझे मिल जाये" भी बहुत प्रसिद्ध है। पन्ना जिले में उथली हीरा खदानों से निकलने वाले जेम्स क्वालिटी के हीरो को अपना बनाने के लिए पन्ना जिले के आस-पास के क्षेत्रो के साथ-साथ गुजरात,राजस्थान ,सूरत सहित देश के कोने-कोने से व्यपारी आते थे और नीलामी के इन बेशकीमती हीरो की बोली लगा कर इन्हें अपना बनाते थे,,,,लेकिन एक दम से कोरोना वायरस महामारी फैली और लॉक डाउन हो गया जिसका असर भी हीरा खदानों में देखने को मिला और पिछले दो माह से भी अधिक समय से ये उथली हीरा खदाने बंद पड़ी हुई है जो अपनी दुर्दशा पे आंसू बहा रही है देखिए रिपोरी,,,,,,,चारो ओर से जंगलों और पहाड़ों से घिरा मंदिरो की पवित्र नगरी पन्ना जिसे हीरो की नगरी के नाम से देश दुनिया मे जाना जाता है,,,,पन्ना की धरा हीरे उगलती है और पल भर के किसी को भी रंक से राजा बना देती है अपनी किस्मत आजमाने के लिए यहाँ न केवल पन्ना बल्कि आस-पास के लोग हीरा कार्यालय से पट्टा बनवाकर खदान खोदते है,,खदानों से निकलने वाली ग्रेवाल जिसे चाल भी बोल जाता है इसको छन्ने और पानी की मदद से साफ करते है और सुखा कर उसमें हीरा तलास करते है और किस्मत वालो को चमचमाता हुआ हीरा मिलता है जिसे वह हीरा कार्यालय में जमा करते है उस हीरे को नीलामी में रखा जाता है और व्यपारी उसकी बोली लगते है जिसके बाद बड़ी बोली बोलने वाले को हीरा बेंच दिया जाता है। लेकिन लॉक डाउन की वजह से खदाने बंद है जिस वजह से न तो हीरे मिल रहे है और न ही हीरा खदान चलाने वाले ठेकेदारों और मजदूरों की रोजी रोटी चल पा रही है आलम ये है कि ये लोग खाने पीने तक को मोहताज हो चुके है।जिन खदानों में एक समय मेला लगा रहता था आज उन खदानों में परिंदा भी पर नही मार रहा है मजदूरों और ठेकेदार अपने-अपने घरों में कैद है,,,,,चाल पूरी तरह से सूख चुकी है। सभी इन खदानों के खुलने के इंतिजार में बैठे है कि कब खदानों का काम शुरू हो और वो अपनी किस्मत आजमाए। वही हीरा अधिकारी की माने तो इस साल अभी तक पिछले साल की अपेक्षा कम हीरे जमा हुए है और हीरा विभाग को भी हानि हुई है जो पिछले माह नीलामी होनी थी वो भी लॉक डाउन की वजह से नही हुई।