समलैंगिक विवाह कानून के विरोध में उतरी रादौर की सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं

सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि कहा कि सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह कानून पर नियमित सुनवाई कर रहा है जो की हमारी संस्कृति पर एक कुठाराघात ही नहीं बल्कि सामाजिक रीति रिवाजों पर भी कुठाराघात है।

रादौर || समलैंगिक विवाह कानून संबंधी सुप्रीम कोर्ट में चल रही बहस को लेकर आज रादौर की सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने इसका विरोध किया। सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों का कहना था की सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकार के विषय तो चर्चा के योग्य ही नहीं हैं। जिसको लेकर सामजिक व धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भी एसडीएम अमित कुमार को सौंप इस विषय को संज्ञान लेकर ऐसे कानून पर रोक लगाई जाए।  

ज्ञापन सौंपने के बाद पत्रकारों से बातचीत में सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कहा कि कहा कि सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह कानून पर नियमित सुनवाई कर रहा है जो की हमारी संस्कृति पर एक कुठाराघात ही नहीं बल्कि सामाजिक रीति रिवाजों पर भी कुठाराघात है। ऐसे विषय तो चर्चा के योग्य ही नहीं हैं किंतु सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर नियमित रूप से सुनवाई कर रहा है व सुप्रीम कोर्ट भी इस विषय को प्राथमिकता देते हुए प्रतिदिन सुनवाई कर रही है तथा इस विषय पर माननीय न्यायाधीशों की टिप्पणियां भी आ रही है, उससे लगता है की समलैंगिक विवाह की अनुमति के लिए कानून में परिवर्तन होने जा रहा है। इसे देखते हुए पूरे राष्ट्र के लोगों में रोष व्याप्त है। हम सभी इस कानून का विरोध करते हैं और महामहिम राष्ट्रपति व सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि इस विषय को संज्ञान लेकर ऐसे कानून पर रोक लगाई जाए।