नशा छुड़ाने के लिए अब नहीं जाना पड़ेगा पीजीआई रोहतक और चण्डीगढ़

प्राईवेट नशा मुक्ति केन्द्रों पर मरीजों को ज्यादा फीस लेने से सम्बंधित मामले सामने आने के बाद मरीजों के अभिभावक परेशान थे। उन्होंने बताया कि चौ. बंसीलाल नागरिक हस्पताल भिवानी में डी-एडीक्शन सैंटर का प्रोविजनल लाईंसेस राज्य मुख्यालय से प्राप्त हो चुका है। इसके लिए वार्ड, ओपीडी कक्ष और स्टाफ तय कर दिया गया है।

भिवानी || अब नशा छुड़वाने के लिए परिजनों को रोहतक या चण्डीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा। सरकार से मंजूरी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा नशे की लत में पड़ चुके लोगों का नशा छुड़वाने के लिए चौ. बंसीलाल नागरिक हस्पताल भिवानी में डी-एडीक्शन सेंटर खोल दिया गया है। सिविल सर्जन डा. रघुवीर शांडिल्य ने बताया कि जिले में कहीं भी सरकारी नशा मुक्ति केन्द्र नहीं था, जिसकी वजह से युवाओं और बच्चों का नशा छुड़वाने के लिए अभिभावक पीजीआई रोहतक, चण्डीगढ की दौड़ लगा रहे थे। उन्होने बताया कि प्राईवेट नशा मुक्ति केन्द्रों पर मरीजों को ज्यादा फीस लेने से सम्बंधित मामले सामने आने के बाद मरीजों के अभिभावक परेशान थे। उन्होंने बताया कि चौ. बंसीलाल नागरिक हस्पताल भिवानी में डी-एडीक्शन सैंटर का प्रोविजनल लाईंसेस राज्य मुख्यालय से प्राप्त हो चुका है। इसके लिए वार्ड, ओपीडी कक्ष और स्टाफ तय कर दिया गया है। अब जिले में यह सेंटर खुलने से नशे की लत में पड़ चुके युवा तथा बच्चों का नशा छुड़वाने में काफी फायदा होगा।

सिविल सर्जन ने बताया कि डीसी नरेश नरवाल द्वारा जिले में सरकारी डी-एडिकशन सेंटर खोलने की योजना बनाई गई थी। जिला प्रशासन के प्रयास से अब यह सफल हुआ है। मनोचिकित्सक डा. नंदिनी लाम्बा को डी-एडिकशन सेंटर का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। हर वर्ग के लोगों पर नशा हावी हो रहा है। नशा युवाओं के भविष्य को अंधकार में ले जा रहा है। 
आज की युवा पीढ़ी शराब, तम्बाकू उत्पाद, चरस, अफीम सहित अन्य नशीले पदार्थो का इस्तेमाल कर रही है। नशा एक धीमा जहर है। नशे की लत से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। नशा न केवल व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर करता है बल्कि उसके परिवार को भी आर्थिक पतन की ओर धकेल देता है। समाज में अपराध की मुख्य वजह नशा ही माना गया है। पहले तो युवा स्कूल व कॉलेज में बीड़ी, सिगरेट व गुटखा का सेवन शौकिया तौर पर शुरू करते हैं लेकिन बाद में इनकी लत लग जाती है।