जनता दरबार रद्द होने के बावजूद भी अनिल विज के निवास पर फरियादियों की उमड़ी भीड़

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भले ही जनता दरबार लगाना रद्द कर दिया हो, लेकिन स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की जनता के प्रति नजरअंदाजी का फ़ैसला विज के घर के बाहर खड़ी भीड़ से लगाया जा सकता है। रात से ही आये हुए इन फरियादियों को अनिल विज के इलावा किसी और पर भरोसा ही नहीं है।

अंबाला || हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भले ही जनता दरबार लगाना रद्द कर दिया हो. लेकिन विज के निवास स्थान पर रोज़ाना की तरह आज भी सैकड़ों फरियादी अपनी फरियाद लेकर पहुंचे। तपती गर्मी और आग उगलते सूरज के सामने पसीने से लथपथ लोग धुप में खड़े नजर आए. धुप से बचाव के लिए किसी ने अपने सिर पर फाइल रखी हुई थी तो किसी ने सर पर बैग रख कर खड़ा हुआ था. कुछ लोगों ने सर को कपडे से ढक रखा था ताकि चिलचलाती गर्मी में लू के थपेड़ों से बचा जा सके। इतनी मुसीबत झेलने के बाद सब के दिल में एक चाह थी कि वह अपनी शिकायतों को हरियाणा के गब्बर यानी अनिल विज को सुना सकें ताकि उनकी शिकायतों का फ़ैसला ओन द स्पॉट हो जाये और उन्हें इधर-उधर के धक्के ना खाने पड़ें। विज के जानता दरबार में एकाएक आई भीड़ का आलम ये था कि व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस के भी पसीने छूट गए।  

जब सुबह-सुबह सैंकड़ों लोग फरियाद लेकर किसी मंत्री के दरवाजे पर पहुँच जायें और वहाँ का मंजर ऐसा हो मानो कोई मेला लगा हो तो समझ लेना ये विज का जानता दरबार है। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने भले ही जनता दरबार लगाना रद्द कर दिया हो, लेकिन स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की जनता के प्रति नजरअंदाजी का फ़ैसला विज के घर के बाहर खड़ी भीड़ से लगाया जा सकता है। रात से ही आये हुए इन फरियादियों को अनिल विज के इलावा किसी और पर भरोसा ही नहीं है। विज के निवास स्थान पर लोगों की ये भीड़ किसी जनता दरबार से कम नहीं है. प्रदेश के कोने-कोने से अपनी फरियाद लेकर विज से मिलने पहुंचे फरियादियों ने विज पर भरोसा जताते हुए कहा कि हरियाणा में सुनने वाला मंत्री केवल अनिल विज ही है कोई रात में ही अपने घर से निकला तो कोई देर रात ही अंबाला पहुँच गया। हर किसी को जल्दी थी विज को अपनी समस्या बताने की. लिहाज़ा भीड़ बेक़ाबू हो विज के निवास के बाहर तक आ गई। पुलिस को भीड़ को कंट्रोल करने के लिए फ़ोर्स मंगानी पड़ी। रस्सा बांध कर भीड़ को आगे जाने से रोकना पड़ा। हर किसी को बस उम्मीद थी तो विज से की. यहाँ विज के दरवाजा पर उन्हें इंसाफ जरूर मिलेगा ।

विज ने एक-एक फ़रियाद को सुना और सबका निवारण करने कि कोशिश कि। विज मानते हैं कि उन्होंने जानता दरबार रद्द कर दिया है, लेकिन लोग मानते नहीं और सुबह से ही उनके निवास के बाहर लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है। विज इस बात से भी परेशान हैं की उनके पास सुबह से ही सैकड़ों फ़रियादी आना शुरू कर देते हैं लेकिन उनके पास उन्हें कहीं बिठाने की व्यवस्था नहीं है। विज की माने तो उनकी कोशिश रहती है की वह आखिरी पंक्ति में खड़े हर शिकायतकर्ता की शिकायत सुनें और उसका समाधान कर सकें।