नूंह हिंसा के दौरान हुई गोलीबारी में दादरी की युवती बाल-बाल बची

मीटिंग की अध्यक्षता स्वामी सच्चिदानंद ने की और इस दौरान बजरंग दल, हिंदू परिषद, धर्म जागरण सहित कई सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी शमिल हुए। मीटिंग में नूंह घटना को लेकर रोष जताया और सरकार से घटना में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई।

चरखी दादरी || नूंह में आयोजित यात्रा में दादरी से शामिल होने पहुंचे जत्था के लोगों ने वहां की घटना के बारे में रूंह कांपने जैसा वाक्या बताया। जत्थे में शामिल एक युवती गोलीबारी में जहां बाल-बाल बची तो वहीं अन्य लोगों को मंदिर में बंधक बनाने के दौरान चार घंटे कैसे बिताए, पूरी जानकारी दी। हिंदू संगठनों द्वारा नूंह में हुई घटना के विरोध में एकजुट होकर रोष मीटिंग की और प्रशासनिक अधिकारियों को सीएम व गृह मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई। इस दौरान जय सिया राम व हिंदू एकता जिंदाबाद के नारे लगाते हुए दादरी में रहने वाले रोहिंग्या समाज के लोगों को अभियान चलाकर निकलवाने की भी मांग उठाई।

बता दें कि नूंह में ब्रजमंडल यात्रा में शामिल होने दादरी से 55 लोगों का जत्था गया था। जत्थे में शामिल युवाओं के अलावा महिला व बच्चे भी शामिल थे। यात्रा के दौरान नूंह में हुई घटना के विरोध में दादरी के रोज गार्डन में हिंदू संगठनों द्वारा मीटिंग का आयोजन किया गया। मीटिंग की अध्यक्षता स्वामी सच्चिदानंद ने की और इस दौरान बजरंग दल, हिंदू परिषद, धर्म जागरण सहित कई सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी शमिल हुए। मीटिंग में नूंह घटना को लेकर रोष जताया और सरकार से घटना में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई। इस संबंध में मौके पर पहुंचे एसडीएम नवीन कुमार व डीएसपी हैडक्वार्टर अशोक कुमार को सीएम, गृह मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस दौरान पुलिस सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे और खुफिया विभाग की टीम पूरी मीटिंग पर नजरे रखे हुए थी। एसडीएम ने कहा कि उचित माध्यम से ज्ञापन भेज दिया जाएगा और रोहिंग्या समाज के लोगों पर कार्रवाई की जो मांग की है, उस पर संज्ञान लिया जाएगा।

नूंह यात्रा में जत्थे में शामिल प्रियंका प्रजापति ने बताया कि वहां का मंजर देखकर रूंह कांप उठती हैं। मंदिर में उनको बंधक बना लिया था और पहाड़ के तीन ओर से उन पर गोलीबारी हो रही थी। इसी दौरान उसके सिर के पास से एक गोली निकली तो वह कांप उठी। अगर एक पुलिसकर्मी उसको नहीं खींचते तो गोली उसे लग जाती। इसके अलावा उनके साथ छोटे बच्चे व युवतियां भी थी, जिनकी जान बचाने के लिए काफी प्रयास किया गया। वहीं सीताराम ने बताया कि वहां के हालात देखकर एक बार लगा कि वे नहीं बचेंगे। कहीं गाड़ियां जला रहे थे तो कहीं गोलीबारी हो रही थी। किसी तरह मंदिर में शरण ली और पुलिस की गाड़ियों से मुश्किल से निकलकर रात को घर पहुंच पाए।