जुलाना में मुर्रा नस्ल की भैंस बनी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र...

जुलाना क्षेत्र में किसान का रुख खेती के साथ-साथ पशुपालन की ओर भी है ऐसे में जुलाना के साथ लगते गांव करेला का एक किसान अपनी खेती के साथ साथ पशु पालन में भी उतना ही ध्यान देता ह ।वह अपने घर पर पाली गई मुर्रा नस्ल की भैंसों को जान से भी ज्यादा ख्याल रखता है |

जुलाना में मुर्रा नस्ल की भैंस बनी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र...

जींद (परमजीत पंवार) || जुलाना क्षेत्र में किसान का रुख खेती के साथ-साथ पशुपालन की ओर भी है ऐसे में जुलाना के साथ लगते गांव करेला का एक किसान अपनी खेती के साथ साथ पशु पालन में भी उतना ही ध्यान देता ह ।वह अपने घर पर पाली गई मुर्रा नस्ल की भैंसों को जान से भी  ज्यादा ख्याल रखता है  किसान के घर में करीबन चार पांच भैंस है उनमें से उनकी राजरानी भैंस उनके लिए विशेष महत्व रखती है |

यह राजरानी गांव के साथ-साथ पड़ोसी गांव में भी चर्चा का विषय बनी हुई है किसान अपनी इस भैंस को पालने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता इसके भोजन के लिए देसी घी चना  चुरी और खल  का विशेष ध्यान रखता है पूरे गांव में किसान की भैंस के चर्चे आम है की इस भैंस  अपने पिछले ब्यांत  पर 25 किलो दूध देकर अपना रिकॉर्ड बनाया था वही अबकी बार यह कुछ दिन बाद फिर दोबारा (बयान) बच्चे को जन्म देने वाली ह । और इस बार यह 25 किलो से अधिक दूध देकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ सकती है किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन में रुचि रख अपनी आमदनी का कार्य कर रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के साथ-साथ पशुपालन की ओर भी किसानों का रुख हो रहा है किसान का कहना है कि उसके पिता के समय से ही उसके घर में अच्छी नस्ल की भैंसों का रखना था और वही शौक उसका भी है वह भी अच्छी नस्ल की भैंस अपने घर में रखता है और उनकी सेवा करता है |

किसान साधु राम का कहना है कि उसके घर में 4भैंस हैं लेकिन इस भेस राजरानी से उनका अलग ही लगाव है और इसकी सेवा के लिए वह हमेशा तैयार रहते हैं इसका भोजन भी विशेष तौर पर रख अलग से रखा जाता है इसके भोजन के लिए देसी घी चना चूरी और कल आदि का विशेष प्रबंध किया जाता है यह भैंस पिछली बार 25 किलो दूध देती थी अबकी बार मुझे आशा है यह अपना ही रिकॉर्ड तोड़ देगी हमें पशु पालने का शौक मेरे पिता के समय से ही है।अब में भी भेस को अपनी जान की तरह सुरक्षित रखता हूं।