पिपली रैली में जा रहे किसानों और व्यापारियों को पुलिस ने लिया हिरासत में...

पिपली रैली में जा रहे फतेहाबाद के किसानों और व्यापारियों को पुलिस ने सनियाना नहर पुल से हिरासत में लिया, पुलिस ने की हुई थी नाकेबन्दी, सरकार द्वारा किसानों और व्यापारियों को पिपली में एकत्रित होने से रोकने के आदेश दिए गए थे, कई किसान नेताओं को पहले ही नोटिस जारी कर बिना अनुमति के पिपली जाने से रोक की दी गई थी चेतावनी,आज फतेहाबाद से पिपली जा रहे व्यापारियों व किसानों के जत्थे को सनियाना गांव में रोका गया, विरोध करने पर पुलिस ने सभी को लिए हिरासत में, व्यापारी व किसानों ने कहा- ये सरकार की तानाशाही, किसान, मजदूर और व्यापारी की आवाज को दबाना चाहती है सरकार, लेकिन हम इस तानशाही का डटकर करेंगे मुकाबला।

पिपली रैली में जा रहे किसानों और व्यापारियों को पुलिस ने लिया हिरासत में...

फतेहाबाद (सतीश खटक) || हरियाणा के पिपली में आयोजित किसान रैली में जा रहे व्यापारियों और किसानों को फतेहाबाद पुलिस प्रशासन ने फतेहाबाद-उकलाना मार्ग पर गांव में नहर पुल पर हिरासत में ले लिया। गाड़ियों में सवार होकर फतेहाबाद के किसान और व्यापारी रैली में जा रहे थे और प्रशासन की तरफ से बिना अनुमति के व्यापारियों और किसानों को रैली में जाने से रोकने के आदेश दिए गए थे। इस पर पुलिस प्रशासन ने पहले से ही सनियाना गांव में पुल पर नाकेबंदी की हुई थी।

किसान नेताओं ने मौके पर पुलिस अफसरों से काफी बहस की ओर पिपली रैली में जाने की रोक हटाने की मांग की लेकिन अधिकारियों ने किसी भी किसान और व्यापारी को आगे नहीं जाने दिया जिसके बाद मौके पर व्यापारियों और किसानों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि सरकार तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं और किसान व्यापारी लगातार किसान मजदूर व्यापारी वर्ग के खिलाफ लाए गए तीन अध्यादेशों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं |

लेकिन सरकार इन अध्यादेश को वापस नहीं ले रही है और ना ही किसानों की मांग पर कोई विचार कर रही है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार के इस तानाशाही रवैया का किसान और व्यापारी मिलकर मुकाबला करेंगे। मजदूर, किसान,व्यापारी सरकार की तानाशाही के आगे नहीं झुकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द से जल्द तीनों अध्यादेश पर रोक लगाते हुए उन्हें वापस ले और किसान मजदूर और व्यापारियों को राहत प्रदान करें। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो किसान, व्यपारी और मजदूर बड़ा आंदोलन करेंगे।