गुरुग्राम नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पहुंचीं 56वें दिन में

कर्मचारियो की माने तो ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार सबसे निचले पायदान पर रहे कर्मचारियों के लिए गंभीर नहीं है। ये सरकार सिर्फ वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों के पैर धोने का, भगवान वाल्मीकि के जन्मदिन मानाने का दिखावा करके सिर्फ और सिर्फ ढोंग कर रही है। वही कर्मचारी संघ के इकाई प्रधान राम सिंह की माने तो अगर यह सरकार वास्तव में इन गरीब कर्मचारियों की मदद करना चाहती तो यह कर्मचारी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं।  ये कर्मचारी कोई प्लाट बंगला नहीं मांग रहे हैं।

गुरुग्राम (संजय खन्ना) || भले ही गुरुग्राम ने विश्व के मानचित्र पर साइबर सिटी के रूप में अपनी पहचान बना ली हो, लेकिन इन दिनों गुरुग्राम किसी स्लम बस्ती से कम नही लग रहा है। अगर आप ने स्लम बस्ती नही देखी है तो गुरुग्राम अजाइये। आप को स्लम बस्ती का पूरा फील मिलेगा। इन दिनों साइबर सिटी की कोई सड़क या फिर कोई मोहल्ला ऐसा नही है, जो कूड़े-कचरे से पटा न पड़ा हो। दरअसल शहर की यह हालत नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के आवाहन पर सफाई कर्मचारियों की चल रही हड़ताल के कारण बनी है। गुरुग्राम नगर निगम के लगभग 7000 कर्मचारियो के हड़ताल में शामिल होने से शहर कूड़े का ढेर बनता जा रहा है। इस कूड़े से उठने वाली बदबू ने अब साइबर सिटी के लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। शहर वासी परेशान है, लेकिन समस्या का कोई समाधान नही मिल रहा है। वही नगर निगम के सफाई कर्मियों ने सेक्टर-27 में झाड़ू हाथ में ले जोरदार प्रदर्शन किया। 

दरअसल हरियाणा प्रदेश के सफाई कर्मचारी बीते 56 दिनों से लगातार हड़ताल पर है, लेकिन सरकार ने अभी तक कर्मचारियों से बात तक करना गवारा नहीं समझा है। कर्मचारियो की माने तो ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार सबसे निचले पायदान पर रहे कर्मचारियों के लिए गंभीर नहीं है। ये सरकार सिर्फ वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों के पैर धोने का, भगवान वाल्मीकि के जन्मदिन मानाने का दिखावा करके सिर्फ और सिर्फ ढोंग कर रही है। वही कर्मचारी संघ के इकाई प्रधान राम सिंह की माने तो अगर यह सरकार वास्तव में इन गरीब कर्मचारियों की मदद करना चाहती तो यह कर्मचारी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं।  ये कर्मचारी कोई प्लाट बंगला नहीं मांग रहे हैं। वे सिर्फ कह रहे हैं कि हमें ठेकेदारों के शोषण से निकालकर विभाग के रोल पर किया जाए और जो काफी वर्षों से जो कच्चे कर्मचारी काम कर रहे हैं उनको पक्का करा जाए।  सरकार ने तुगलकी फरमान जारी करते हुए कौशल रोजगार निगम बनाया है। इसमें कर्मचारी का कोई भविष्य नहीं है। इसको बंद करा जाए। कोरोना काल के समय में यह सफाई कर्मचारी अपनी जान की परवाह न करते हुए लगातार अपने लोगों को अपने शहर को साफ सुथरा रखने का काम कर रहे थे। यहां तक की लाश जलाने का भी काम कर रहे थे। उस समय जनता ने एवं सरकार ने इनको कोरोना योद्धा का दर्जा दिया था, लेकिन सिर्फ यह कहने मात्र था जबकि असलियत यह है इन सफाई कर्मचारियों को हरीयाणा सरकार कुछ देना नहीं चाहती।