यमुनानगर में पर्यावरण मंजूरी के बिना चल रहे फॉर्मल डिहाइड प्लांटस सील...

पूरे हरियाणा बिना पर्यावरण क्लीरेंस के चल रहे डिहाइड प्लांट्स को सील किया गया।वही यमुनानगर में भी इसको लेकर एक बड़ी कारवाई करते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण मंजूरी के बिना चल रहे सात फॉर्मल डिहाइड प्लांटस को सील किया गया।नोटिफिकेशन के तहत इन प्लांट्स को चलाने के लिए उन्हें पर्यावरण मंजूरी लेनी होती है।

यमुनानगर में पर्यावरण मंजूरी के बिना चल रहे फॉर्मल डिहाइड प्लांटस सील...

यमुनानगर (सुमित ओबेरॉय) || पूरे हरियाणा बिना पर्यावरण क्लीरेंस के चल रहे डिहाइड प्लांट्स को सील किया गया।वही यमुनानगर में भी इसको लेकर एक बड़ी कारवाई करते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण मंजूरी के बिना चल रहे  सात फॉर्मल डिहाइड प्लांटस को सील किया गया।नोटिफिकेशन के तहत इन प्लांट्स को चलाने के लिए उन्हें पर्यावरण मंजूरी लेनी होती है।जोकि इन यूनिट्स ने नही ली,इसलिए किया गया सील।इन प्लांट्स से निकलने वाले धुंए से प्रदूषण की समस्या होती है,ये धुंआ इंसान के स्वास्थ्य के लिए भी है खतरनाक है।दो यूनिट्स सील तोड़ चला रहे थे,उन पर हुई कार्रवाई बिजली के कनेक्शन काट दुबारा किया गया सील।इन सभी यूनिट्स के खिलाफ कुरुक्षेत्र की पर्यावरण कोर्ट में दायर किया जाएगा केस।जुर्माने का भी आंकलन किया जा रहा है।

पर्यावरण मंजूरी के बिना चल रहे सात फोरमल डिहाइड प्लांट को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सील किया है। जिसमें एप्कोलाइट प्लांट, डिसंट ड्रग्स, प्लांट, साइनोकैम प्लांट, ओम कैम प्लांट, पाहवा प्लास्टिक प्लांट, जयभारत प्लास्टिक व गोयल ऑर्सिज प्लांट शामिल हैं। बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक जल्द ही उनके खिलाफ कुरुक्षेत्र की पर्यावरण कोर्ट में केस दायर किया जाएगा। ताकि भविष्य में कोई नियमों की अनदेखी न कर सकें। प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी निर्मल कश्यप ने बताया कि इन सभी प्लांट्स को केमिकल मैन्यूफैक्चरिग प्रोजेक्ट को सेक्शन पांच में कवर किया गया है। यमुनानगर की यूनिट्स सेक्शन पांच एफ के तहत आती है। इनमें तैयार माल का प्रयोग प्लाईवुड में इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि नोटिफिकेशन के तहत उन्हें पर्यावरण मंजूरी लेनी जरूरी होती है, जो कि उन्होंने नहीं ली थी। पिछले दिनों उन्होंने शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सील कर दिया। उन्होंने बताया कि जब भी कोई औद्योगिक इकाई बोर्ड के पास आवेदन करती है, तो उनसे मंजूरी संबंधी जानकारी मांगी जाती है। जिन यूनिटों को सील किया गया, उन्होंने विभाग को गलत जानकारी दी थी। वही प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी निर्मल कश्यप ने बताया कि जिन सात यूनिट को सील किया गया था, उनमें से एप्कोलाइट यूनिट व पाहवा प्लास्टिक यूनिट की सील तोड़कर चलाए जाने की सूचना मिली थी। जिसके बाद बोर्ड के अधिकारियों ने संबंधित यूनिट का दौरा किया। इस दौरान दोनों यूनिटें चलती मिलीं। बोर्ड ने उन्हें फिर से सील कर दिया गया है। साथ ही नियमों की अवहेलना करने उनके खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है। इसके अलावा उनके बिजली के कनेक्शन को कटवा दिया गया है।ताकि वो दुबारा ऐसा न कर सके।प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने बताया कि पर्यावरण मंजूरी देने का जिम्मा राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के पास है। बोर्ड से इसका कोई लेना देना नहीं है। यूनिट संचालकों का दायित्व बनता है कि वह आवेदन के समय सही जानकारी दें।वही सील हुई यूनिट्स पर जुर्माना भी लगाया जाएगा जिसका आंकलन किया जा रहा है। हम आपको बता दे कि इन प्लांट्स के सील  होने के बाद भी कई प्लांट अवैध रूप से चल रहे थे।जिसके बाद एनजीटी व प्रदूषण विभाग में हुई कम्प्लेंट के बाद पूरे हरियाणा में बिना पर्यारण मंजूरी के चल रहे प्लांट सील किये गए । मिली जानकारी के अनुसार 2006 से पहले से चल रहे प्लांट्स को इ-सी इनवायरमेंट क्लियरेंस यानी कि पर्यावरण मंजूरी लेने की जरूरत नही , क्योंकि ये प्लांट जर्मन टेक्नोलॉजी बेस्ड थे जिनसे पॉल्युशन नही फैलता जबकि 2006 के बाद लगे केमिकल प्लांट्स देसी टेक्नॉलजी पर बेस्ड है जिनसे निकलने वाले धुंए से ही कई तरह की गम्भीर स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बना रहता है इसी को कम करने के लिए ही ये प्लांट  बन्द किये गए।अब देखना होगा कि इस कारवाई के बाद प्रदूषण कितना कम हो पायेगा।वही सील किये गए प्लांट इतने लंबे समय से चल रहे थे जो अपने आप मे कई सवाल खड़े करते है कि कैसे मानकों को ताक पर रख कर बिना पर्यावरण मंजूरी के  ये सब प्लांट्स  चल रहे थे।