सरसों लेकर मंडी के बाहर घंटों से लाइनों में लगे किसानों का दर्द छलका

सरसों की सरकारी खरीद के दौरान किसानों को अपने फसल बचने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रहा है। अल सुबह से फसल कटाइ बीच में छोड़कर अनाजमंडी में अपनी फसल लेकर पहुंचे किसानों को घंटों लाइनों में लगने के बाद भी उनकी सरसों की खरीद नहीं हो रही है। सरसों लेकर मंडी में पहुंचे किसानों का दर्द छलका। किसानों का कहना है कि वे ऐसी मजधार के बीच फंसे हैं कि वे अपनी फसलों की कटाई करें या फिर फसल बचने के लिए मंडियों के चक्कर काटें। मंडी में जहां खरीद को लेकर प्रशासन के दावे हवाई साबित हो रहे हैं वहीं किसानों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं तो किसानों को रेस्ट करने के लिए जगह तक नहीं मिल पा रही है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए दौड़-धूप करनी पड़ रही है।सरसों की सरकारी खरीद के दौरान किसानों को अपने फसल बचने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रहा है। अल सुबह से फसल कटाइ बीच में छोड़कर अनाजमंडी में अपनी फसल लेकर पहुंचे किसानों को घंटों लाइनों में लगने के बाद भी उनकी सरसों की खरीद नहीं हो रही है। सरसों लेकर मंडी में पहुंचे किसानों का दर्द छलका। किसानों का कहना है कि वे ऐसी मजधार के बीच फंसे हैं कि वे अपनी फसलों की कटाई करें या फिर फसल बचने के लिए मंडियों के चक्कर काटें। मंडी में जहां खरीद को लेकर प्रशासन के दावे हवाई साबित हो रहे हैं वहीं किसानों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं तो किसानों को रेस्ट करने के लिए जगह तक नहीं मिल पा रही है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए दौड़-धूप करनी पड़ रही है।

चरखी दादरी। सरसों की सरकारी खरीद के दौरान किसानों को अपने फसल बचने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रहा है। अल सुबह से फसल कटाइ बीच में छोड़कर अनाजमंडी में अपनी फसल लेकर पहुंचे किसानों को घंटों लाइनों में लगने के बाद भी उनकी सरसों की खरीद नहीं हो रही है। सरसों लेकर मंडी में पहुंचे किसानों का दर्द छलका। किसानों का कहना है कि वे ऐसी मजधार के बीच फंसे हैं कि वे अपनी फसलों की कटाई करें या फिर फसल बचने के लिए मंडियों के चक्कर काटें। मंडी में जहां खरीद को लेकर प्रशासन के दावे हवाई साबित हो रहे हैं वहीं किसानों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं तो किसानों को रेस्ट करने के लिए जगह तक नहीं मिल पा रही है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए दौड़-धूप करनी पड़ रही है।

बता दें कि सरसों व गेहूं की एमएसपी रेट पर खरीद शुरू हो चुकी है। बावजूद इसके मंडियों मंे खरीद को लेकर किये दावे हवाई साबित हो रहे हैं। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। चरखी दादरी की अनाजमंडी में सरसों लेकर पहुंचे किसान रविंद्र, रमेश कुमार व रोहतास सिंह ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि फसल कटाई का सीजन चल रहा है, वे अपनी फसल की कटाई करें या फिर घंटों लाइनों में खरीद का इंतजार करें। यहां तक कि पानी भी नसीब नहीं हो रहा है और खरीदकर पानी पी रहे हैं। मंडी के सीसीटीवी कैमरे खराब हैं तो पानी की प्याऊ सूखी पड़ी हैं। किसानों का कहना है कि उनकी कोई सूध लेने वाला नहीं, वे भूखे-प्यासे अपने वाहनों के साथ लाइनों में लगे हैं। प्रशासन के खरीद को लेकर किये दावे हवाई साबित हो रहे हैं। किसानों का कहना है कि लाइनों में लगने के बाद भी खरीद की गारंटी नहीं है। वहीं मार्केट कमेटी के सचिव परमजीत नांदल का कहना है कि खरीद को लेकर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। मंडी में पानी खत्म होने पर दोबारा प्याऊ में भरा जाता है और लाइनों में लगे किसानों के लिए पुलिस व्यवस्था की गई है। अब तक करीब 75 हजार क्विंटल सरसों की आवक हो चुकी है और 10 हजार खरीद की गई है।