सरकार ने छीनी नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्षों की चैक पर हस्ताक्षर की शक्तियां

जनप्रतिनिधियों ने कहा कि उनमें से चुनकर आए अधिकत्तर नगर निकायों के चेयरमैन भाजपा की टिकट पर जीतकर आए है। जब भाजपा को उन पर विश्वास ही नहीं था तो फिर उन्हे टिकट क्यो दिया गया। प्रदेश सरकार के इस निर्णय का नगर निकाय जनप्रतिनिधियों पर व्यापक नकारात्मक असर देखने को मिला। जिला स्तर पर अगले 15 दिनों के बाद प्रदर्शन कर राज्य सरकार को चेताने का कार्य करने की बात जनप्रतिनिधियों ने कही।

भिवानी || हरियाणा प्रदेश के सरपंचों की तर्ज पर नगर निकायों के चेयरमैन की पॉवर छीनकर उनके द्वारा चैक पर हस्ताक्षर करने की पॉवर छीने जाने के बाद अब नगर निकायों के चेयरमैनों ने लांबंद्ध होना शुरू कर दिया है। इसी के तहत भिवानी में हरियाणा नगर निकाय चेयरमैन एसोसिएशन ने एक राज्य स्तरीय मीटिंग कर प्रदेश सरकार के फैसले को वापिस पलटने की हुंकार भरी है। भिवानी जिला में जुटे 40 के करीब नगर परिषद व नगर पालिकाओं के चेयरमैन ने प्रदेश सरकार के इस फरमान के खिलाफ आंदोलन करने का मन बनाया है।

एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष गोहाना से इंद्रजीत किरमानी, सचिव ऐलानाबाद से रामचंद्र सोलंकी, फिरोजपुर झिरका से मनीष जैन, भिवानी नगर परिषद चेयरपर्सन प्रतिनिधि भवानी प्रताप ने कहा कि आज की इस मीटिंग में चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बातचीत हुई है, जिसमें सरकार द्वारा नगर निकायों के चेयरमैनों के चैक पर हस्ताक्षर की शक्तियां छीने जाने के विरूद्ध कोर्ट में जाने, व्यापक स्तर पर त्यागपत्र दिए जाने, चेयरमैनों द्वारा किसी भी कार्य पर हस्ताक्षर ना करके कमल डाऊन करने तथा प्रदेश के भाजपा नेताओं से मिलकर निर्णय को पलटवाने पर चर्चा की गई है। प्रथम चरण में अगले 15 दिनों में प्रदेश के भाजपा जनप्रतिनिधियों से मिलकर उनके सामने अपना पक्ष रखा जाएगा, ताकि नगर निकाय चेयरमैनों को उनकी छीनी गई शक्तियां वापिस मिल पाए। उन्होंने कहा कि चैक पर हस्ताक्षर की शक्तियां छीनकर ना केवल प्रदेश भर के जनप्रतिनिधियों को ताकत को कम किया गया है, बल्कि संवैधानिक तरीके से चुनकर आए जनप्रतिनिधियों पर अविश्वास भी जताया गया है। सरकार का यह कदम लोकतंत्र की हत्या है। इसीलिए सरकार को यह निर्णय वापिस लेना चाहिए।

प्रदेश भर आए नगर निकाय प्रधानों ने कहा कि जिस प्रकार उनकी शक्तियां छीनकर उनके अधिकार प्रदेश सरकार के अधिकारियों को दिए गए है। वह सरासर गलत है। उनकी एसोसिएशन की मुख्यमंत्री से जो पिछले दिनों मीटिंग हुई थी, उसमें सरकार की तरफ से यह आश्वासन दिया गया था कि चैक पर हस्ताक्षर की शक्तियां वापिस लेने के साथ ही चेयरमनों को कुछ ऐसे अधिकार दिए जाएंगे कि जिससे जनता के बीच यह मैसेज जाए कि उनकी शक्तियों को कायम रखा गया है, परन्तु सरकार द्वारा अभी तक ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि उनमें से चुनकर आए अधिकत्तर नगर निकायों के चेयरमैन भाजपा की टिकट पर जीतकर आए है। जब भाजपा को उन पर विश्वास ही नहीं था तो फिर उन्हे टिकट क्यो दिया गया। प्रदेश सरकार के इस निर्णय का नगर निकाय जनप्रतिनिधियों पर व्यापक नकारात्मक असर देखने को मिला। जिला स्तर पर अगले 15 दिनों के बाद प्रदर्शन कर राज्य सरकार को चेताने का कार्य करने की बात जनप्रतिनिधियों ने कही। गौरतलब है कि सरपंचों की तर्ज पर नगर निकायों के प्रधानों की शक्तियां कम किए जाने का भविष्य में व्यापक विरोध होता नजर आ रहा है। वर्ष 2024 के चुनाव पर इसका क्या असर रहेगा, यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि नगर निकाय प्रतिनिधि एक बड़े क्षेत्र के मतदाताओं को प्रभावित करने का मादा रखते है।