साइबर सिटी में जलभराव की समस्या से कैसे निपटेगा प्रशासन

नगर निगम जीएमडीए और जिला प्रशासन की तरफ से तमाम तैयारियों के खोखले वादे किए गए थे लेकिन यह सभी वादे एक बार इसमें बह गए। गुरुग्राम में नगर निगम और जीएमडीए की तरफ से की ऐसे पॉइंट सुनिश्चित किए गए थे, जहां जलभराव की समस्या से निपटने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से पंप लगाए गए थे, लेकिन बारिश के बाद अलग-अलग इलाकों में जिस तरह की तस्वीरें सामने निकल कर आ रही है।

गुरुग्राम || मानसून से पहले जिला प्रशासन ने लाख दावे किए थे कि इस बार जलभराव की समस्या से लोगों को दो-चार नहीं होना पड़ेगा। लेकिन एक बारिश के बाद शहर किस तरह तालाब में तब्दील हो जाते है। इन तस्वीरों से साफ जाहिर होता है की नगर निगम जीएमडीए और जिला प्रशासन की तरफ से तमाम तैयारियों के खोखले वादे किए गए थे लेकिन यह सभी वादे एक बार इसमें बह गए। गुरुग्राम में नगर निगम और जीएमडीए की तरफ से की ऐसे पॉइंट सुनिश्चित किए गए थे, जहां जलभराव की समस्या से निपटने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से पंप लगाए गए थे, लेकिन बारिश के बाद अलग-अलग इलाकों में जिस तरह की तस्वीरें सामने निकल कर आ रही है। निश्चित तौर पर वह अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। गुरुग्राम में रहने वाले लोग भी अपनी परेशानी को बयां करते हुए साफ तौर पर सरकार और प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हैं।

साइबर सिटी में देर रात से जारी भारी बारिश ने लोगों के चलते शहर के कई इलाकों में भारी जल भराव जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। पुराने शहर के दर्जनों सेक्टर कॉलोनियों में वाटर लॉगिंग ने जहाँ रविवार के दिन लोगों के आराम में खलल डाला तो वही जिला प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी, जिसमे दावा किया गया था कि इस मॉनसूनी बारिश में स्थानीय जनता को वाटर लॉगिंग जैसी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा। किसी फिल्म का नगमा है "बरखा रानी जरा जम के बरसो" लेकिन साइबर सिटी में तैनात अधिकारी हमेशा दुआ करते है की "बरखा रानी जरा दूर ही बरसो" दरअसल हर साल मॉनसूनी बारिश से पहले ड्रेनेज, सफाई और सड़कों की मरम्मत पर करोड़ों टैक्स वसूलने वाला जिला प्रशासन यह दावे करता रहा है इस बार की मॉनसूनी बारिश में जल भराव नही होने दिया जाएगा। लेकिन फिर एक तेज़ बारिश होती है और सारे दावे पानी पानी होते दिखाई दे रहे है। एक बार फिर यही उम्मीद और सवाल मन में उठता है कि क्या इसी तरह से दावे और वादे होते रहेंगे और एक बारिश में यू ही ये वादे बहते रहेंगे और लोगों की परेशानी जस की तस बनी रहेगी।