पेयजल संकट झेल रहे गांव दातौली में ग्रामीणों ने पंचायत करके सामूहिक रूप से विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का लिया निर्णय 

पेयजल को लेकर नागरिकों के साथ-साथ पशुओं को काफी परेशानी हो रही है। ऐसे हालातों में मजबूर होकर मतदान बहिष्कार का फैसला लिया है जो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी ग्रामीणों द्वारा पेयजल सकंट को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। उस समय मुख्यमंत्री व प्रशासनिक अधिकारियों ने समस्या का समाधान जल्द करने का आश्वासन दिया था

पेयजल संकट झेल रहे गांव दातौली में ग्रामीणों ने पंचायत करके सामूहिक रूप से विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का लिया निर्णय 

चरखी दादरी : पिछले तीन दशक से पेयजल संकट झेल रहे गांव दातौली में ग्रामीणों ने पंचायत करके सामूहिक रूप से विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। सरपंच की अध्यक्षता में हुई पंचायत में फैसला लिया कि गांव के दोनों बूथों पर मतदान के दिन कोई भी ग्रामीण मतदान नहीं करने नहीं जाएगा। इस दौरान ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन के खिलाफ रोष जताते हुए यह भी फैसला लिया कि चुनाव के दौरान किसी भी पार्टी के नेता को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। ग्रामीण नेताओं का विरोध करेंगे।पंचायत द्वारा लिए फैसले को लेकर गांव की पंचायत द्वारा प्रस्ताव पारित करके प्रशासन को भी सौंपा गया है।जिले के अंतिम छौर पर बसे गांव दातौली में बुधवार को सरपंच दयानंद की अध्यक्षता में पंचायत हुई। जिसमें गांव में पेयजल संकट को लेकर विचार-विमर्श किया गया। पंचायत में गांव के मौजिज लोगों ने विचार विमर्श करने के बाद सर्वसम्मति से फैसला लिया कि पेयजल संकट से परेशान ग्रामीण विधानसभा चुनाव में पूर्ण रूप से मतदान का बहिष्कार करेंगे। प्रशासन द्वारा गांव में बनाए गए दोनों बूथों पर कोई भी ग्रामीण मतदान के लिए नहीं जाएगा। इसके अलावा ग्रामीणों ने यह भी फैसला लिया कि उनके गांव की समस्या का समाधान नहीं होता है तो वे किसी भी पार्टी के नेता को गांव में घुसने नहीं देंगे। अतर सिंह नंबरदार, पंच सोमबीर सिंह ने संयुक्त रूप से बताया कि उनके गांव की पेयजल समस्या से ग्रामीणों को दूर-दूर तक भटकना पड़ रहा है। पेयजल को लेकर नागरिकों के साथ-साथ पशुओं को काफी परेशानी हो रही है। ऐसे हालातों में मजबूर होकर मतदान बहिष्कार का फैसला लिया है जो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी ग्रामीणों द्वारा पेयजल सकंट को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। उस समय मुख्यमंत्री व प्रशासनिक अधिकारियों ने समस्या का समाधान जल्द करने का आश्वासन दिया था। बावजूद आश्वासन के ग्रामीणों की पेयजल संकट का समाधान नहीं हुआ।