किराए की धर्मशाला में चल रही पाठशाला, भय के साये में पढऩे को मजबूर नौनिहाल

उनका कहना है कि पाठशाला की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। इसके बावजूद जीर्णोद्धार कार्य शुरू कराने के लिए पाठशाला के 75 बच्चों को समीपवर्ती स्कूलों में शिफ्ट नहीं किया जा रहा। इस संबंध में वो शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित जिला उपायुक्त धर्मवीर सिंह से भी गुहार लगा चुके हैं

किराए की धर्मशाला में चल रही पाठशाला, भय के साये में पढऩे को मजबूर नौनिहाल

चरखी दादरी : दादरी शहर के कबीर नगर स्थित प्राथमिक पाठशाला एक धर्मशाला में चलाई जा रही है। पाठशाला की बिल्डिंग इस कदर जर्जर हो चुकी है कि नौनिहालों को भय के साये में पढ़ाई करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। बिल्डिंग का बजट आने के एक साल भी जीर्णोद्धार कार्य शुरू न होने पर अभिभावकों ने नारेबाजी करते हुए रोष जताया। उनका कहना है कि पाठशाला की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। इसके बावजूद जीर्णोद्धार कार्य शुरू कराने के लिए पाठशाला के 75 बच्चों को समीपवर्ती स्कूलों में शिफ्ट नहीं किया जा रहा। इस संबंध में वो शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित जिला उपायुक्त धर्मवीर सिंह से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस हैं।कबीर नगर निवासी पूर्ण, टोनी, प्रकाश, मोनू, सुदेश, सतबीर, राजू, नितेश, निवास, संजय, रामभगत, सुनील, प्रवीन, जोगेंद्र, विक्की, अजय, अनू, बाबूलाल, चंद्रमुखी, कमलेश, मोनू, मित्रो, सुनीता व सतनाम आदि ने बताया कि सन 1952 में धर्मशाला बनाई गई थी। 1974 में यहां प्राइमरी स्कूल शुरू कर दिया गया था। अभिभावकों ने बताया कि प्राइमरी स्कूल शुरू हुए 44 साल हो चुके हैं और पिछले कई सालों से बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। पहले पाठशाला के ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल पर कक्षाएं लगती थीं, लेकिन हादसे के डर से अब नीचे ही कक्षाएं लग रही हैं। अभिभावकों ने बताया कि पाठशाला के जीर्णोद्धार के लिए करीब एक साल पहले दस लाख का बजट भी आ चुका है, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है। वहीं, उनके बच्चों को डर के साये में पढ़ाई करनी पड़ रही है।इन अभिभावकों ने बताया कि पाठशाला का जीर्णोद्धार कार्य शुरू करने के लिए यहां पढऩे वाले करीब 75 बच्चों को समीपवर्ती स्कूल में शिफ्ट करने में भी अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने समाधान न होने पर पाठशाला के मेन गेट को ताला जडऩे की चेतावनी दी। वहीं स्कूल अध्यापक का कहना है कि बिल्डिंग जर्जर होने के चलते विद्यार्थियों के साथ-साथ स्कूल स्टाफ को भी भय रहता है। छत कंडम हो चुकी हैं, कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।