नदी पर बांध बनाने के लिए 10 गांवों के लोगों ने सौंपा ज्ञापन

इस वर्ष भी चार बार पानी ने इन गांवों को अपनी चपेट में लिया है, जिससे गांवों की हजारों एकड़ फसल तबाह हो गई है। ट्यूबवेल बोर खराब हो गये हैं, मकान धंस गए हैं। मवेशी पानी में बह गये हैं। इसके चलते उन्हें भारी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई आसान नहीं है। मारकंडा नदी के डर के कारण इन गांवों से कुछ परिवार पलायन तक करने की सोचने लगे हैं।

शाहाबाद || मारकंडा नदी के पानी की मार झेलते रहे 10 गांवों के लोगों ने सोमवार को पूर्व राज्यमंत्री कृष्ण बेदी से मुलाकात की और खानपुरा गांव से तंदवाल और गुमटी, अरूप नगर, मलिकपुर से कलसाना तक नदी पर बांध बनवाए जाने की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा। इस वर्ष भी चार बार पानी ने इन गांवों को अपनी चपेट में लिया है, जिससे गांवों की हजारों एकड़ फसल तबाह हो गई है। ट्यूबवेल बोर खराब हो गये हैं, मकान धंस गए हैं। मवेशी पानी में बह गये हैं। इसके चलते उन्हें भारी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई आसान नहीं है। मारकंडा नदी के डर के कारण इन गांवों से कुछ परिवार पलायन तक करने की सोचने लगे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि खानपुरा से तंदवाल तक नदी पर बांध बनवाकर ही इन गांवों को नदी की मार से बचाया जा सकता है। इसलिए नदी पर बांध बंधवाया जाए ताकि आने वाले समय में यह गांव नदी की मार से बच सकें। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि सिंचाई विभाग ने मलिकपुर में नदी के बीचों-बीच पुल की बजाय बांध बना दिया है, इस कारण यहां से पानी की निकासी नहीं हो रही है। इसलिए इसे हटाया जाए ताकि पानी को निकासी की जगह मिल पाए .

पूर्व राज्यमंत्री कृष्ण बेदी ने कहा कि अगर किसान व ग्रामीण भूमि के लिए तैयार हैं तो बांध बन जाएगा। सभी ग्रामीण स्वेच्छा से बांध के लिए भूमि दे देते हैं तो खानपुरा से तंदवाल तक के बांध को जल्द मंजूरी दिलवा दी जाएगी और जनवरी और फरवरी में बांध निर्माण का काम भी शुरू हो जाएगा। उन्होंने मारकंडा नदी से अरूपनगर, गुमटी व मलिकपुर तक मारकंडा नदी पर बांध बनवाने के लिए आए ग्रामीणों को भी यही सुझाव दिया कि पहले सभी गांवों के ग्रामीण मिलकर एक बैठक करें और उसके बाद भूमि देने के लिए स्वयं की डिटेल ई-पोर्टल पर दर्ज करें।