अरविंद केजरीवाल के कारण, इन महिलाओं को उठानी पड़ रही शर्मिंदगी ।

दिल्ली में केजरीवाल सरकार के बड़े बड़े दावे खोखले साबित हो रहे हैं, जहां  शाहबाद डेयरी स्थित जेजे क्लस्टर में सार्वजनिक शौचालय प्रसासन की अनदेखी  का शिकार हो रहा है. प्रशासन के उदासीन रवैए के कारण सार्वजनिक शौचालय खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

अरविंद केजरीवाल के कारण, इन महिलाओं को उठानी पड़ रही शर्मिंदगी ।

Delhi (Rakesh Kumar) :  दिल्ली में केजरीवाल सरकार के बड़े बड़े दावे खोखले साबित हो रहे हैं, जहां  शाहबाद डेयरी स्थित जेजे क्लस्टर में सार्वजनिक शौचालय प्रसासन की अनदेखी  का शिकार हो रहा है. प्रशासन के उदासीन रवैए के कारण सार्वजनिक शौचालय खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. यहां बिना दरवाजों के सार्वजनिक शौचालय में महिलाएं शौच करने को लेकर विवश व लाचार है। शौचालय की बदहाल हालत ने महिला सुरक्षा के बड़े बड़े दावे करने वाली केजरीवाल सरकार की पोल खोल कर रख दी है. 


एक तरफ जहां दिल्ली के  केजरीवाल सरकार दिल्ली को विकास मॉडल बनाने का दावा करते हैं, तो वहीं दुसरी तरफ  दिल्ली सरकार के ही कई विभाग इन दावों को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं. प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही का ही परिणाम है कि,  दिल्ली के बवाना विधानसभा अंतर्गत आने वाले शाहबाद डेयरी के जेजे क्लस्टर की महिलाओं को अक्सर शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ता है. दरअसल शाहाबाद डेयरी जेजे क्लस्टर में DUSIB की तरफ से बना सार्वजनिक शौचालय खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. इन शौचालयों के अंदर ना तो पानी की सुविधा है और ना ही शौचालयों के आगे गेट लगा है.  शौचालय की बदहाल स्थिति के बीच महिलाएं यहां पर शौच करने को मजबूर है. महिलाएं शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए अपने घर से कपड़ा लेकर आती है और उसका पर्दा बनाती हैं. 


यह तस्वीरें उस समय की है जब  दिल्ली के शाहबाद इलाके की यह तस्वीर उस समय की है जब हमारा देश आजादी के 75 साल का जश्न मना रहा है. इतना ही नहीं दिल्ली सरकार महिला सुरक्षा के बड़े- बड़े दावे कर कई सुख सुविधाओं को  मुहैया कराने का दावा करती है. बावजूद इसके यहां महिलाएं खंडहर हालत में शौचालय का इस्तेमाल करने को मजबूर है. यहां की महिलाओं का आरोप है कि जब वे शौच आदि के लिए आती है, तो बाहर से लड़के पत्थर आदि भी फेंकते हैं, और जानबूझकर शौचालयों के आसपास खड़े रहते हैं. कई बार शिकायत के बावजूद भी स्थानीय जनप्रतिनिधि और संबंधित विभाग द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं करता. महिलाओं ने सरकार से गुहार लगाई है कि या तो इस शौचालय की स्थिति को सुधारा जाए नहीं तो इसको पूर्ण रूप बंद कर दिया जाए, ताकि कम से कम यहां महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस ना करें.


तो  ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सरकार के तरफ से हर महीने रख-रखाव के नाम पर आने वाला पैसा आखिर कहां जाता है. इसके अलावा स्थानीय लोगों की शिकायत के बावजूद भी प्रशासन इस पर अपना ध्यान आकर्षित क्यों नहीं करता. लिहाजा जरूरत है कि प्रशासन महिलाओं की समस्याओं पर ध्यान दे और इस शौचालय के आसपास जमावड़ा लगाने वाले असमाजिक तत्वों पर शिकंजा कसे. साथ ही महिलाओं को हो रहीं समस्याओ को जल्द से जल्द दूर कर सार्वजनिक शौचालय में पानी और दरवाजों की व्यवस्था को सुधारा जा सके, ताकि इलाके के लोगों की समस्याओं का समाधान हो सकें जो इलाके के लोगों का अधिकार हैं।