ब्रेकथ्रू ही नही लोगों के बीच जाकर भी जागरूकता अभियान जारी रहेगा

लड़का और लड़की के बीच पनपते भेदभाव को खत्म करने के लिए ब्रेकथ्रू संस्था प्रयासरत है। जागरूकता अभियानों के माध्यम से ब्रेकथ्रू ना सिर्फ लोगों के बी चभी जाकर उन्हें जागरूकता अभियान जारी रहेगा| अपने क्षेत्र में आंगनवाड़ी वर्कर लोगों को जागरूक कर रहे है|

ब्रेकथ्रू ही नही लोगों के बीच जाकर भी जागरूकता अभियान जारी रहेगा

|| Gharaunda || Kartik Bhardwaj  || ब्रेकथ्रू संस्था लगातार लड़के और लड़की के बीच हो रहें भेदभाव को खत्म करने को लेकर प्रयासरत है। जागरूकता अभियानों के माध्यम से ब्रेकथ्रू ना सिर्फ लोगों के बीच जाकर उन्हें जागरूकता अभियान जारी रहेगा| अपने क्षेत्र में आंगनवाड़ी वर्कर लोगों को जागरूक कर रहे है| उन लोगों को उन्हें प्रशिक्षण भी दे रही है|  इसी कड़ी में खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय के सभागार में महिला एवं बाल विकास विभाग और ब्रेकथ्रू संस्था ने एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें कि आंगनवाड़ी वर्करों को लैंगिक संवेदनशीलता के विषय में विस्तृत जानकारी दी और आहवान किया जा रहा हैं| कि इस समाज में लड़का और लड़की के बीच होने वाले लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने वाले लोगों को जागरूक करने का भी काम किया| 

बीडीपीओ सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता में ब्रेकथ्रू  की सुपरवाइजर निशा ने की। सर्वप्रथम आंगनवाडी वर्करों को ब्रेकथ्रू संस्था का परिचय दिया गया।

जिसमें की साथ में यह भी बताया गया है| कि यह संस्था भारत के पांच राज्यों में भी काम कर रही है| हरियाणा के छह जिलों में सक्रिय रूप से जागरूकता व प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है| यह संस्था मानवाधिकार के मुद्दों पर भी चर्चा कि जाएँगी | सशक्तीकरण, लैंगिक संवेदनशीलता, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने का भी काम करती है। सुपरवाइजर निशा ने बताया कि संस्था घरौंडा ब्लॉक की 20 ग्राम पंचायतों में काम करती है और 20 गांवों की आंगनवाड़ी वर्करों को लैंगिक संवेदनशीलता पर प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि यह अपने केंद्र पर महिलाओं को जागरूक कर सके।

नई पंचायतें और ब्रेकथ्रू संस्था एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में कार्य करेगी। उन्होंने बताया कि पहले माहौल ऐसा होता था कि लड़कियां अपने सपनों के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाती थी, अगर हम अब की बात भी करे तो उन्हें रोक दिया जाता था| लेकिन संस्था के जागरूकता अभियानों का असर है कि आज युवतियां भी अपने सपनों को उड़ान देती है और घर वाले भी उन्हें पूरा सहयोग करते है। हालांकि अब भी बहुत बदलाव की जरूरत है और यह बदलाव धीरे धीरे देखने को मिल रहा है।

क्योंकि जिन किशोर-किशोरियों को आगे बढऩे के अवसर नहीं मिलते थे, वे अपने अवसर बना रहे है और उस पर काम भी कर रहे है।