लॉक डाउन के चलते, उद्योग में काम कर रहे लोगो को सता रही वेतन की चिंता....

एक तरफ जहां कोरोना वैश्विक महामारी के चलते सभी उद्योग आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं ।ऐसे में किसी भी उद्योग में काम कर रहे लोगो को वेतन की चिंता सता रही है।वही यमुनानगर स्तिथ इसजेक हैवी इंजीनियरिंग में काम करने वाले श्रमिको के बीच चल रहे एरियर समझौता आखिरकार 20 महीने बाद इस लॉक डाउन में सफल हुआ।

लॉक डाउन के चलते, उद्योग में काम कर रहे लोगो को सता रही वेतन की चिंता....

यमुनानगर (सुमित ओबेरॉय) || एक तरफ जहां कोरोना वैश्विक महामारी के चलते सभी उद्योग आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं ।ऐसे में किसी भी उद्योग में काम कर रहे लोगो को वेतन की चिंता सता रही है।वही यमुनानगर स्तिथ इसजेक हैवी इंजीनियरिंग में काम करने वाले श्रमिको के बीच चल रहे एरियर समझौता आखिरकार 20 महीने बाद इस लॉक डाउन में सफल हुआ।पुरानी यूनियन के खामियों के चलते उन्हें अबतक एरियर नही मिल पाया था।जिसके चलते एक नई कमेटी बनाई गई और उस कमेटी के प्रयासों से सभी श्रमिको को लाभ हुआ और 20 माह से रुका एरियर भी मिल गया ।इस विषय को लेकर कमेटी ने प्रेस वार्ता का जानकारी दी।दरअसल इसजक हैवी इंजीनियरिंग लिमिटिड  मैं काम करने वाले वर्कर्स ने प्रेस वार्ता कर बताया लगभग 20 माह बीत जाने के बाद जब कर्मचारी यूनियन फैक्ट्री संचालकों के साथ मजदूरों के हितों का कोई समझौता नहीं कर सकी ।तब फैक्ट्री के श्रमिकों ने खुद ही यूनियन को एक एक तरफ कमेटी बनाई और उसके माध्यम से फैक्ट्री संचालकों से मिलकर मजदूरों के हक में समझौता करवाने को सफल हुए ।इसी को लेकर कमेटी के सदस्य वासुदेव शर्मा ने बताया कि इज्जत हेवी इंजीनियरिंग लिमिटेड उनके वर्कर्स के मध्य वेतन वृद्धि से समझौता संभव 2018 से लंबित था ।जिससे बहुत से वित्तीय लाभ अन्य सुविधाओं की मांग की गई थी प्रबंधन समिति वर्कर लगातार समझौते को लेकर बैठ कर रहे थे 18 मई को श्रमिकों व फैक्टरी प्रबंधन के मध्य आपसी समझौता हुआ ।जिसके तहत श्रमिकों को लगभग ₹4000 से लेकर ₹5300 प्रति माह वेतन में वृद्धि की गई ।कमेटी द्वारा इस प्रकार मजदूरों की मांग पर विचार किया गया जिससे मजदूरों में खुशी की लहर है।कमेटी के सदस्य ने वासुदेव  वासुदेव शर्मा ने बताया की मैनेजमेंट के साथ वेतन वृद्धि को लेकर मैनेजमेंट के साथ एक समझौता होता है हर 3 साल के बाद जो कि हमारा 1 सितंबर 2018 से डीयू चला आ रहा था ।जो मौजूदा यूनियन थी वह उस समझौते को करवाने में असमर्थ रही। जो हमारे कर्मचारी थे उन्होंने अलग से साइन करके एक कमेटी गठित की उस कमेटी को अथॉरिटी लेटर दिया कि आप इस समझौते पर काम करें कि लगभग 20 महीने बीत चुके हैं। लेबर बहुत ज्यादा परेशान है उस लेटर के अनुसार गठित कमेटी के सदस्यों ने मैनेजमेंट से बात की और मैनेजमेंट ने हमारी हमारी कमेटी को मान्यता दी। फिर वह अग्रीमेंट हुआ 20 महीने का एरियर रुका हुआ था जिससे 506 कर्मचारियों को लाभ मिला है ।लगभग 8 करोड रुपए का अमाउंट है ।यह तो मैंने कहा कि जिस प्रकार से कई उद्योग आर्थिक संकट में है लेकिन हमारी कंपनी बहुत अच्छे से काम कर रही है ।अभी तक किसी भी श्रमिक के वेतन को नहीं काटा गया बंद के चलते भी तनख्वाह दी गई। और इस लॉक डाउन की स्थिति में आकर भी 8 करोड अबे का अमाउंट कोई छोटा माउंट नहीं होता। किसी वर्कर की छटनी नहीं की गई किसी को नहीं कहा गया कि आप चले जाओ आप को वेतन नहीं मिलेगा ।सबको सैलरी मिलेगा पुरानी यूनियन की खामियों की वजह से 20 महीने से रुका हुआ एरियर नहीं मिल पा रहा था। जिन लोगों ने चुना था उन्हीं लोगों ने पत्र लिखकर दिया कि हम इन लोगों को नहीं मानते और अलग से ही हमारी कमेटी गठित की गई ।आने वाले समय में यह कमेटी श्रमिकों के हक के लिए काम करते रहेंगे।