अंबाला : देश में जानलेवा बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रोफी के मामलों में लगातार इजाफा

देश में जानलेवा बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रोफी के मामलों में लगातार दुखदाई इजाफा हो रहा है यह एक बीमारी है जिसमें मरीज की मौत लगभग निश्चित ही होती है |

अंबाला : देश में जानलेवा बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रोफी के मामलों में लगातार इजाफा

|| Ambala || Aditya Kumar || देश में जानलेवा बीमारी मस्कुलर डिस्ट्रोफी के मामलों में लगातार दुखदाई इजाफा हो रहा है. यह एक बीमारी है जिसमें मरीज की मौत लगभग निश्चित ही होती है. हरियाणा में  इस बीमारी के मरीजों का आंकड़ा 300 तो वही देशभर में 40 हजार से ज्यादा बच्चे इससे ग्रसित बताए जाते है. हाल में ही मध्य प्रदेश के विदिशा शहर से भाजपा के पूर्व पार्षद संजीव मिश्रा ने अपने 2 बेटों के मस्कुलर डिस्ट्रोफी से ग्रसित होने के चलते परेशान होकर पूरे परिवार के साथ सलफास खाकर जीवनलीला समाप्त कर ली. मस्कुलर डिस्ट्रोफी बीमारी में बच्चे की मांसपेशियां बिल्कुल कमजोर हो जाती है जिसके बाद वह धीरे धीरे व्हीलचेयर पर पहुंच जाता है. इस बीमारी के इलाज में करोड़ों रुपए खर्च आता है 6 फरवरी को पूरे देश में इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के अभिभावक विरोध प्रदर्शन करते हुए हर राज्य में रोष मार्च निकालेंगे. अंबाला छावनी में भी यह प्रदर्शन किया जाएगा. अभिभावक सरकार से इस बीमारी पर रिसर्च करने और दवाई उपलब्ध करवाने की मांग कर रहे है.

जब शरीर में कई न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के लक्षण एक साथ मौजूद होते हैं, तो ऐसी फिजिकल कंडीशन को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी कहा जाता है. जो एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें जन्म के बाद धीरे-धीरे बच्चे की मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं. ऐसे में फिजिकल एक्टिविटीज को कंट्रोल करने वाली स्केलेटल मसल्स कमजोर होकर डैमेज हो जाती हैं. कुछ में जन्म के समय ही इस बीमारी की पहचान की जा सकती है, तो कई बार ऐसा भी होता है कि किशोरावस्था में प्रवेश करने के बाद बच्चे में ऐसे लक्षण नजर आते हैं. कोशिकाओं यानी सेल्स में मौजूद जीन्स की संरचना में गड़बड़ी के कारण मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की समस्या होती है. अगर इस बीमारी की फैमिली हिस्ट्री रही हो, तो ऐसे परिवार में जन्म लेने वाले बच्चों में भी यह समस्या हो सकती है.
इस बीमारी में बच्चे की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती है कि वह चल फिर दौड़ उठ नही सकता मरीज बच्चे की माशपेशियो में दर्द जकड़न रहती है.