गुरूग्राम - किराया ना दे सका तो किराएदार ने लगा मौत को गले

प्रवासी मजदूरो का दर्द आज पूरी दुनिया देख रही है,लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी से रूबरू कराएंगे ,जिसे सुनकर आप भी समझ जाएंगे की इस दुनिया मे दावे तो बहुत होते है लेकिन हकीकत कुछ और होती है | साइबर सिटी गुरूग्राम से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है ,जहा रसूखदारों ने एक प्रवासी मजदूर की जिंदगी तबाह कर दी और पीछे छोड़ दिया दो मासूम को दर्द सहने के लिए

गुरूग्राम - किराया ना दे सका तो किराएदार ने लगा मौत को गले

गुरूग्राम (संजय खन्ना) || प्रवासी मजदूरो का दर्द आज पूरी दुनिया देख रही है,लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी से रूबरू कराएंगे ,जिसे सुनकर आप भी समझ जाएंगे की इस दुनिया मे दावे तो बहुत होते है लेकिन हकीकत कुछ और होती है | साइबर सिटी गुरूग्राम से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है ,जहा रसूखदारों ने एक प्रवासी मजदूर की जिंदगी तबाह कर दी और पीछे छोड़ दिया दो मासूम को दर्द सहने के लिए |
मूल रूप से उड़ीसा निवासी मधुसूदन अपनी बीबी ओर बच्चो का पेट पालने के लिए इस गगन चूमी इमारत वाले शहर में आया था । जहाँ उसने एक छोटे से कमरे में अपना आशियाना बनाया था ,लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था ,जिस आशियाने में मधुसूधन रहता था उस आशियाने के मालिक ने उसे इतना मजबूर कर दिया कि अंत में मधुसूदन ने अपनी जिंदगी लील ली ।मृतक मधुसूधन के दोस्त की शिकायत पर गुरुग्राम पुलिस ने मामला दर्ज कर मकान मालिक को गिरफ्तर कर लिया है ।
वही इस मामले में गुरूग्राम पुलिस के एसीपी की माने तो मृतक के दोस्त ने मकान मालिक के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए एक लिखित शिकायत दी है, जिसमे लिखे हुए शब्दो पर गौर करे तो मकान मालिक पिछले कई दिनों से किराए को लेकर मधुसूदन को परेशान कर रहा था ,जिसके चलते वो डिप्रेशन में आ गया था | रविवार सुबह पानी भरने के लिए मृतक के कमरे का दरवाजा खटखटाया गया ,लेकिन अंदर से कोई जबाव नही मिला। जब काफी खटखटाने के बाद भी कोई जबाव नही मिला तो दरवाजा तोड़ा गया ,जहा मधुसूदन मृत व्यवस्था में मिला। वही सामने एक जहरीला पदार्थ रखा हुआ था,जिसे देखकर आसपास के लोगो में डर का माहौल पैदा हो गया । थोड़ी देर बाद पुलिस को सूचना दी गई ।
गुरूग्राम पुलिस ने 306 का मुकदमा दर्ज कर आरोपी मकान मालिक को  गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन आज इस मजबूर की मौत ने उन लोगो के मुह पर कड़ा तमाचा मारा है ,जो लोग मजदूर के हितैशी बनकर तरह-तरह की बाते करते है ।आज इस प्रवासी मजदूर ने मौत को गले लगा कर अपने परिवार को अकेला जरूर छोड़ दिया है, लेकिन सवाल खड़े कर दिए है कि क्या आज भी इस महामारी में सरकारी दावे सर्फ दिखावे है ।