इंद्री समाज सेवी प्रशांत खेड़ा ने गरीब मजदूरों को करवाया भोजन व की आर्थिक सहायता प्रदान  ...

लाक डाउन के कारण बिगड़े आर्थिक हालातों से मजबूर प्रवासी मजदूरों ने  साइकिल पर ही पंजाब के मोहाली शहर से आसाम के लिए सफर शुरू कर दिया साइकिल पर भूखे प्यासे सफर कर रहे प्रवासी मजदूर जैसे ही गढ़ी बीरबल रोड इंद्री में पहुंचे तो रास्ते से गुजर रहे समाजसेवी  प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए हाथ बढ़ाएं भूख से बिलबिला रहे प्रवासी मजदूरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था कराई गई प्रवासी मजदूरों ने सरकार की प्रवासी मजदूरों को सहायता प्रदान करने वाली नीतियों को लाचार बेबस बताकर साइकिल पर ही अपने घर आसाम पहुंचने का कठोर निर्णय कर लिया है। साइकिलों  पर घरेलू सामान लाते हुए इन प्रवासी मजदूरों ने आर्थिक तंगी के जो हालात बयान किए उससे समाजसेवियों के दिल भी पसीज गए प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वह पंजाब के मोहाली में एक कंपनी में काम कर रहे थे 

इंद्री समाज सेवी प्रशांत खेड़ा ने गरीब मजदूरों को करवाया भोजन व की आर्थिक सहायता प्रदान  ...

इंद्री (मैनपाल) || लाक डाउन के कारण बिगड़े आर्थिक हालातों से मजबूर प्रवासी मजदूरों ने  साइकिल पर ही पंजाब के मोहाली शहर से आसाम के लिए सफर शुरू कर दिया साइकिल पर भूखे प्यासे सफर कर रहे प्रवासी मजदूर जैसे ही गढ़ी बीरबल रोड इंद्री में पहुंचे तो रास्ते से गुजर रहे समाजसेवी  प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए हाथ बढ़ाएं भूख से बिलबिला रहे प्रवासी मजदूरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था कराई गई प्रवासी मजदूरों ने सरकार की प्रवासी मजदूरों को सहायता प्रदान करने वाली नीतियों को लाचार बेबस बताकर साइकिल पर ही अपने घर आसाम पहुंचने का कठोर निर्णय कर लिया है। साइकिलों  पर घरेलू सामान लाते हुए इन प्रवासी मजदूरों ने आर्थिक तंगी के जो हालात बयान किए उससे समाजसेवियों के दिल भी पसीज गए प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वह पंजाब के मोहाली में एक कंपनी में काम कर रहे थे  जो कोरोना  महामारी के कारण हुए लॉक डाउन उनकी कंपनी भी बंद हो गयी थी।  जब कंपनी मैं दोबारा से काम शुरू हुआ तो उन्हें पर्याप्त मात्रा में काम नहीं मिला पूरा काम ना मिलने से उन्हें नाममात्र में ही मजदूरी मिलने लगी जिस कारण उनकी आर्थिक हालत खराब होने लगी और आर्थिक संकट महसूस होने लगा तो इन प्रवासी मजदूरों ने अपने परिजनों से बात कर वहां से पैसे मंगवाए और साइकिलें खरीद कर अपने घर साइकिल पर जाने का निर्णय कर लिया पिछले 2 दिन से चले 21 प्रवासी मजदूरों ने आसाम जाने के लिए सरकार से मदद की गुहार की थी लेकिन घर जाने की मदद ना मिलने पर उन्हें साइकिल से अपने घर चलने का रास्ता अपनाना पड़ा है। प्रवासी मजदूरों ने बताया कि पिछले काफी दिनों से वह अपने घर जाने के लिए सरकार द्वारा तय की गई नीतियों के तहत मदद मांग रहे थे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई प्रवासी मजदूरों ने  बताया कि उनकी जेबों में राशि नाममात्र ही  बची है जिस कारण वह भूख पियासे रहकर  अपना सफर तय कर रहे हैं प्रवासी मजदूरों ने सरकार द्वारा मजदूरों को सहायता देने के दावों को खोखला  बताया। उधर सड़क से गुजर रहे समाजसेवी प्रशांत खेड़ा  ने बताया की सड़क से गुजरते वक्त उन्हें प्रवासी मजदूरों की कठिनाइयों का पता चला तो उन्हें भोजन व अन्य खाने-पीने की चीजों का प्रबंध कराया ताकि इस क्षेत्र से गुजरने वाला कोई भी प्रवासी भूखा ना रहे आखिर हम सब हिंदुस्तानी हैं और सभी को मिलकर एक दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए संकट की घड़ी में यदि हम एक दूसरे की मदद करेंगे तो बड़ा से बड़ा संकट भी कट जाएगा