धान की बिजाई पर प्रतिबंध किसानों पर भारी, रोजी-रोटी के लाले पड़े

सरपंच भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पंचायत ने कई साल पहले ही बढ़ते भूमिगत जलस्तर के मध्यनजर धान की बिजाई पर प्रतिबंध लगा दिया था। धान बिजाई होने से गांव में जलभराव के हालात बन गए थे और मकानों में दरारें आ गई थी। ऐसे में पूरा गांव पंचायत के फैसले पर सहमत है। कुछ किसानों ने धान की बिजाई की तो उनको समझाने के लिए पंचायत बुलाई थी, सामाजिक बहिष्कार नहीं किया था।

चरखी दादरी || करीब 12 वर्षों से धान की बिजाई पर गांव चरखी की पंचायत द्वारा लगाया प्रतिबंध किसानों पर भारी पड़ रहा है। दूसरी फसलें पैदा नहीं होती और धान की बिजाई पर प्रतिबंध लगने के चलते किसानों को अब रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। धान की बिजाई बंद हाेने से चलते किसानों द्वारा लगाई दूसरी फसलें बर्बाद हो गई और हजारों एकड़ जमीन बंजर होती जा रही है। हालांकि कुछ किसानों द्वारा धान की बिजाई की तो पंचायत ने सामाजिक बहिष्कार का तुगलगी फरमान सुना दिया। ऐसे में किसानों ने जहां हाईकोर्ट का रूख किया वहीं उनका दर्द भी सामने आया। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों, खाप प्रधान व पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मन जारी किया है। ऐसे में किसानों काे अब न्यायालय से उम्मीद बंधी है।

बता दे कि गांव चरखी की पंचायत द्वारा करीब 12 वर्ष पहले धान की बिजाई पर प्रतिबंध लगाया था। साथ ही पंचायत के फैसले के विरोध में जाने वाले किसानों पर जुर्माना सहित सामाजिक बहिष्कार करने का निर्णय लिया था। पंचायत के फैसले के भय व इज्जत को लेकर किसानों ने धान की बिजाई बंद कर दी और दूसरी फसलों की पैदावार शुरू की। लेकिन बारिश के पानी का जलभराव व भूमिगत जलस्तर उपर आने के बाद दूसरी फैसलें पैदा होनी बंद हो गई। ऐसे में किसानों की हजारों एकड़ प्रतिवर्ष बिना बिजाई के छोड़नी पड़ी। जिससे किसानों की माली हालत खराब हो गई और किसानों कर्जदार हो गए। इस बार कुछ किसानों द्वारा धान की बिजाई की तो पंचायत ने किसानों का सामाजिक बहिष्कार का फैसला सुना दिया।

हाईकोर्ट ने विधायक, सरपंच सहित कई प्रशासनिक अधिकारियों को सम्मान जारी किए

पंचायत के फैसले के विरोध में बहिष्कार किये किसानों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका डाली। जिस पर कोर्ट द्वारा संज्ञान सांगवान खाप प्रधान व दादरी विधायक सोमबीर सांगवान, सरपंच भूपेंद्र सिंह, डीसी, एसपी सहित 12 को सम्मन जारी करते हुए 4 अगस्त को सुनवाई का समय दिया है।

कर्ज में डूबे हैं किसान, हाईकोर्ट के निर्णय पर बंधी उम्मीद

पंचायत द्वारा सामाजिक बहिष्कार झेल रहे किसान कुलदीप सिंह, संदीप सिंह व गुरमीत इत्यादि ने कहा कि सामाजिक बहिष्कार के चलते उन पर काफी कर्ज हो गया है। धान की बिजाई करने व दूसरी फैसलों की पैदावार नहीं होने से वे लगातार कर्जदार हो गए हैं। अब हाईकोर्ट द्वारा सम्मन जारी करने के बाद उम्मीद बंधी है। उनका सामाजिक बहिष्कार होने के कारण उनकी समाज में इज्जत नहीं रही। इज्जत की बजाये उनको अपने परिवार का पालन-पोषण की चिंता ज्यादा है।

सामाजिक बहिष्कार के भय के चलते अधिकांश धान लगाने में असमर्थ

गांव चरखी में हुक्के पर चर्चा करते हुए किसानों की पीड़ा सामने आई। किसान वेदपाल, महेंद्र पंच, नरेश, जयवीर इत्यादि ने कहा कि पंचायत चौधरियों के तुगलकी फरमान के भय से किसान अपनी मनपसंद फसलों की पैदावार नहीं कर सकते। धान के अलावा उनके खेतों में दूसरी फसलें पैदा नहीं होती, ऐसे में वे लगातार कर्जदार बनते जा रहे हैं। अब हाईकोर्ट द्वारा किसानों की याचिका पर संज्ञान लिया है तो उन्हें भी उम्मीद है कि किसान अपने खेतों में धान की बिजाई कर सकेंगे और कर्ज उतर जाएगा।

पंचायत के फैसले को लेकर न्यायालय ने जारी किए सम्मन

अधिवक्ता दीपक सांगवान ने बताया कि किसान कुलदीप सिंह व अन्य के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका डाली गई थी। जिस पर न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए सांगवान खाप के प्रधान व दादरी विधायक सोमबीर सांगवान, चरखी गांव के सरपंच भूपेंद्र, सुरेश पहलवान, बल्लू, धर्मेंद्र, विनय, सदर एसएचओ को याचिका का जवाब देने के लिए 4 अगस्त को उच्च न्यायालय में पेश होने का समन जारी किया है। न्यायालय से उम्मीद है कि किसानों के हक में फैसला आएगा और दूसरे किसानों के भी धान बिजाई के रास्ते खुलेंगे।

सामाजिक बहिष्कार की नहीं जानकारी : डीसी

डीसी प्रीति ने कैमरे के सामने आने से मना करते हुए सिर्फ इतना कहा कि पंचायत द्वारा धान बिजाई करने वाले किसानों के सामाजिक बहिष्कार की कोई जानकारी नहीं है। धान छोड़कर दूसरी फसलें उगाने पर किसानों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। ऐसे में किसानों को धान की बजाये दूसरी फसलों की पैदावार करनी चाहिए ताकि भूमिगत जलस्तर को कायम रखा जा सके और जलभराव जैसी स्थिति पैदा ना हो।