सिविल सेवा परीक्षा में क्यों घट रही है हिंदी भाषी छात्रों की संख्या

Hindi speaking, Civil Services Examination

सिविल सेवा परीक्षा में क्यों घट रही है हिंदी भाषी छात्रों की संख्या

हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है, हिंदी समझती है और हिंदी ही लिखती है यहां तक कि देश की राजधानी नई दिल्ली में भी सर्वाधिक हिंदी ही बोली जाती है इसके बावजूद भारत की सबसे सम्मानित और सर्वश्रेष्ठ परीक्षा सिविल सेवा में (जिसका आयोजन संघ लोक सेवा आयोग के द्वारा करवाया जाता है) लगातार हिंदी भाषा ही अभ्यर्थियों की संख्या घटती चली जा रही है।
क्या कारण है कि जिस परीक्षा में 2011 में हिंदी भाषाई चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 45% थी ,वह 2016 में 8% और 2018 में 8 अभ्यर्थियों पर आकर के टिक गई अर्थात केवल 1% हिंदी भाषाई अभ्यर्थियों का चयन 2018 मे हुआ।


हिंदी भाषा के अभ्यर्थियों के साथ है क्या समस्या?

सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में 200 अंक की परीक्षा में कुल 100 प्रश्न पूछे जाते हैं जिसे 120 मिनट में हल करना होता है और 200 अंक की परीक्षा होती है। इसमें सात से आठ लाख अभ्यर्थी भाग लेते हैं जिसमें से 10 से 12000 अभ्यर्थियों का चयन मुख्य परीक्षा के लिए किया जाता है अभ्यर्थियों की संख्या के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बड़ी कठिन प्रतियोगिता से अभ्यर्थियों को गुजरना पड़ता है इसमें एक एक अंक का विशेष महत्व होता है।
हिंदी भाषा ही छात्र जो देश में एक बड़े पैमाने पर तैयारी करते हैं उनका आरोप है कि परीक्षा का मूल प्रश्न पत्र अंग्रेजी में तैयार किया जाता है जिसको हिंदी में अनुवाद कर छात्रों के सामने प्रस्तुत किया जाता है हालांकि छात्रों के सामने हिंदी भाषा का विकल्प रहता है परंतु वह हिंदी भाषा जब अंग्रेजी से अनुवादित होती है तो उसमें जटिलता ,क्लिष्टता और आ व्यवहारिकता आ जाती है 8 से 10 प्रश्न ऐसे होते हैं। जो केवल छात्रों के समझ में इसलिए नहीं आते क्योंकि उनमें ऐसे हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिसे कोई हिंदी का प्रकांड पंडित भी ना समझ पाए। क्योंकि जब डिजिटलीकरण को अंकीयकृत, मैंडेटरी को अधिदेशित या आज्ञापरख, संकल्पना को संप्रत्ययीकरण लिखा जाएगा तो किसी के समझ में आने के बस की बात नहीं है। जिस परीक्षा में एक प्रश्न के लिए केवल 1.2मिनट मात्र दिए जाते हो वहां पर अभ्यर्थी हिंदी से इंग्लिश अनुवाद करेगा या प्रश्न की भाषा को समझेगा शायद यह एक बड़ा कारण है कि हिंदी भाषी छात्र लगातार पिछड़ते चले जा रहे हैं इस गूगल ट्रांसलेशन का इस्तेमाल होने से हिंदी भाषी छात्र तो पिछड़ ही रहे हैं इसके अलावा हिंदी भाषा का भी स्वयं में अपना नुकसान हो रहा है क्योंकि इससे हिंदी भाषा पूरी तरह से जटिल और जटिल होती चली जा रही है।

इस समस्या पर गठित कमेटी दे चुकी है रिपोर्ट

हिंदी भाषायी छात्रों की समस्या पर संघ लोक सेवा आयोग के द्वारा पुरुषोत्तम अग्रवाल कमेटी गठित की गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा था कि प्रश्न पत्रों को मूल रूप से हिंदी भाषा में तैयार किया जाए, उसी का अंग्रेजी में और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाए क्योंकि अन्य भाषाएं इतनी जटिल नहीं है जितनी की हिंदी। इसके अलावा प्रश्न पत्रों की जांच ऐसे वरिष्ठ शिक्षाविदों से कराई जाए जो हिंदी की विशेषता हासिल रखते हो इसके अलावा वह अपने कैरियर में अध्यापन और अनुवाद का भी अनुभव रखते हो। परंतु कमेटी की इस सिफारिश को आज तक लागू नहीं किया गया है इसके अलावा भारत के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी इस मुद्दे पर सरकार को पत्र लिख चुके हैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र के पूर्व अध्यक्ष मैनेजर पांडे ने लोक सेवा आयोग को लिखे हुए पत्र में कहा है कि मैं 30 वर्ष तक हिंदी का प्राध्यापक रहा हूं उन्होंने लिखा कि संघ लोक सेवा आयोग के प्रश्नपत्र एक व दो में जो अनुवाद है उसको समझना मुश्किल ही नहीं असंभव भी है , आपके अंग्रेजी के हिंदी अनुवाद को कोई प्रकांड पंडित शायद ही समझे परंतु छात्र या सामान्य व्यक्ति तो कतई नहीं समझ सकता है।

मोहन भागवत भी उठा चुके हैं यह मुद्दा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक मोहन भागवत जी इस मुद्दे पर सरकार को पत्र लिख चुके हैं 18 अगस्त को नई दिल्ली में "शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास" के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उनको इस बात की जब जानकारी दी गई तो उन्होंने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा लेकिन इसके बावजूद अभी तक सरकार के द्वारा भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

क्या है समाधान
 प्रयागराज के एथिक्स के विशेषज्ञ और राज्यपाल से सम्मानित इंजीनियर दुर्गेश त्रिपाठी के अनुसार यदि सिविल सेवा परीक्षा के प्रश्न पत्र मूल रूप से हिंदी में तैयार किए जाएं और इसका अंग्रेजी के साथ-साथ अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाए तब इस समस्या का समाधान हो सकता है इसके अलावा प्रश्न पत्र को तैयार करते समय हर उस भाषा के विशेषज्ञ शामिल हो जिन भाषाओं का प्रयोग सिविल सेवा परीक्षा प्रश्न पत्र में किया जाता है, ऐसा होने से किसी भी भाषा के अभ्यर्थी के साथ कोई समस्या नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि परीक्षा के दौरान अभ्यर्थी के पास इतने कम समय होते हैं कि वह प्रश्न का मतलब जब तक समझता है तब तक समय समाप्त हो जाता है इसलिए प्रश्न ऐसे होने चाहिए की किसी भी भाषा के छात्र को प्रथम दृष्टया ही समझ में आ जाए।


संघ लोक सेवा आयोग के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले शब्द और हिंदी के मूल शब्द



डिजिटलीकरण-अंकीयकृत,

मैंडेटरी- अधिदेशित या आज्ञापरख,

 पेनाल्टी- शास्ति,

 जनसंख्या समष्टि,

 प्लास्टिक -सुघट्य,

 आधारभूत- अघ:शायी,

 सब्सिडी साहाव्य,

  दीमक -बरुथी,

 वैश्वीकरण- विश्वव्यापी करण,

 संकल्पना- संप्रत्ययीकरण,

 सर्जिकल स्ट्राइक
शल्यक प्रहार।

 

                                                                 सौरभ सिंह सोमवंशी