21 साल की उम्र में दुश्मन से लोहा लेते राजौरी में शहीद हुए बोह के शहीद सुरजीत सिंह के पिता का कहना है कि पेट्रोल पंप के लिए वे दिल्ली तक के चक्कर काट काट कर थक चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही

यह कोई एक मामला नही है कि शहीद परिवार सरकारी बेरुखी का शिकार हुए हो बल्कि अनेकों परिवार शहीदों की याद ओर सरकार के दिये आश्वासनों को याद करके दुखी हो उठते हैं। ऐसा ही एक परिवार सूबेदार का है जो 2008 में आतंकवादियों से लोहा लेते वीरगति को प्राप्त हुआ था। उनकी पत्नी की आंखे आज भी अपने वीर पति की याद में भर उठती हैं। इस वीरांगना ने तो अपनी पति की याद ताजा रखने के लिए उसका स्प्लेंडर" मोटर साइकिल शीशे के शो केस बना कर उसमें सजा रखा

21 साल की उम्र में दुश्मन से लोहा लेते राजौरी में शहीद हुए बोह के शहीद सुरजीत सिंह के पिता का कहना है कि पेट्रोल पंप के लिए वे दिल्ली तक के चक्कर काट काट कर थक चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही

लाख सरकारी दावों के बावजूद हरियाणा सरकार शहीद परिवारों को सहूलियतें देना भूल गई है। आरोप है कि सरकार 26 जनवरी ओर 15 अगस्त समारोह में बुलाकर शहीदों के परिजनों को एक शॉल भेंट करके इतिश्री जरूर कर देती है, लेकिन लगता है इन परिवारों पर मुसीबतों का क्या पहाड़ टूट रहा है इसको हल करना तो दूर बल्कि सुनना भी पसंद नही करती।21 साल की उम्र में दुश्मन से लोहा लेते राजौरी में शहीद हुए बोह के शहीद सुरजीत सिंह के पिता का कहना है कि पेट्रोल पंप के लिए वे दिल्ली तक के चक्कर काट काट कर थक चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही। वही 2008 में सीमा पर शहीद हुए सूबेदार रणबीर सिंह के परिजनों का भी यही कहना है कि सरकार ने वायदे करने के बाद भूलने का काम किया है !21 साल की बाली उम्र में दुश्मन से लोहा लेते जम्मू- कश्मीर के राजौरी सेक्टर में 1998 में शहीद हुए गॉव बोह के सुरजीत सिंह के पिता सरकारी घोषणाओं को मात्र छलावा बताते हैं। उनका कहना है कि बेटे की शहादत के बाद सरकार ने उन्हें रोजी रोटी चलाने के लिए पेट्रोल पंप देने की घोषणा की थी, लेकिन आज 22 साल गुजर जाने के बाद भी लाख धक्के खाने के बाद उन्हें इसकी अलॉटमेंट नही की। शहीद के पिता सेना से सेवानिवृत्त हुए सूबेदार रावेल सिंह की आंखे उस समय नम जो गई जब उनसे सरकारी मदद मिलने की बात की गई।उनका कहना है कि उस समय तो सरकार व उसके अधिकारियों आंसू पोछने के लिए उनके परिवार की मदद का आश्वासन देते जल्द पेट्रोल पम्प देने की घोषणा की थी, मगर अभी तक वे इसके लिए कई बार दिल्ली में बैठे मंत्रियों और उच्च अधिकारियों की चौखट पर माथा पीटते आये हैं लेकिन उनकी किसी ने नही सुनी, हर बार मात्रा आश्वांसनो के अलावा कुछ नही मिला। यह कोई एक मामला नही है कि शहीद परिवार सरकारी बेरुखी का शिकार हुए हो बल्कि अनेकों परिवार शहीदों की याद ओर सरकार के दिये आश्वासनों को याद करके दुखी हो उठते हैं। ऐसा ही एक परिवार सूबेदार का है जो 2008 में आतंकवादियों से लोहा लेते वीरगति को प्राप्त हुआ था।