लघु सचिवालय पर जारी रोहणात के ग्रामीणों के समर्थन में पहुंचे गुरनाम सिंह चंढूनी

गांव के दो लोगों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया तथा गांव के नजदीक ही हांसी की लाल सडक़ पर गांव रोहणात के 11 लोगों को रोड़ रोलर के नीचे कुचलकर उन्हे शहीद करने का काम किया। इस गांव के लोग सालों से गांव को शहीद का दर्जा दिए जाने व जमीन वापिस दिए जाने की मांग को लेकर धरनारत्त रहे।

भिवानी || शहीद के दर्जे की मांग को लेकर व अंग्रेजों द्वारा नीलाम की गई जमीन को वापिस लेने को लेकर रोहणात में शहीद हुए ग्रामीण वेदप्रकाश का अंतिम संंस्कार 9वें दिन भी नहीं हो पाया। भिवानी के लघु सचिवालय के बाहर आज महापंचायत का आयोजन कर सरकार पर गांव को शहीद का दर्जा देने व गांव की नीलाम जमीन वापिस दिलाने को लेकर बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि जुटे। इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चंढूनी ने धरने पर पहुंचकर रोहणात के ग्रामीणों को समर्थन देते हुए कहा कि यह दुख की बात है कि जिस गांव ने देश की आजादी में अपनी भूमिका निभाई, उस गांव को शहीद का दर्जा दिलवाने की मांग को लेकर गांव के दो लोगों को शहीद होना पड़ा। उन्होंने भाजपा व आरएसएस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिन लोगों ने देश की आजादी में कोई योगदान नहीं दिया, वे लोग गांव रोहणात के लोगों की शहादत को भी नहीं समझ पा रहे है। उन्होंने गांव के शहीद वेदप्रकाश के परिवार को सरकारी नौकरी व एक करोड़ देने की मांग उठाते हुए गांव के लोगोंं की अंग्रेजों द्वारा नीलाम की गई जमीन वापिस दिलवाए जाने की मांग की। इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश में बाजरा न्यूनतम समर्थन मूल्य से 400 रूपये कम में बिक रहा है।

गौरतलब होगा कि भिवानी जिला के रोहणात गांव ने 1857 की क्रांति में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। जिसके चलते अंग्रेजों ने इस गांव के लोगों की 20 हजार 656 एकड़ जमीन इसीलिए नीलाम कर दी थी कि इस गांव के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फंूका था तथा अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतारा था। जिसके चलते गांव के दो लोगों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया तथा गांव के नजदीक ही हांसी की लाल सडक़ पर गांव रोहणात के 11 लोगों को रोड़ रोलर के नीचे कुचलकर उन्हे शहीद करने का काम किया। इस गांव के लोग सालों से गांव को शहीद का दर्जा दिए जाने व जमीन वापिस दिए जाने की मांग को लेकर धरनारत्त रहे। इस धरने में गांव के दो बुजुर्गो की भी अलग-अलग समय शहादत हुई। 11 सितंबर को गांव के शहीद बुजुर्ग वेदप्रकाश ने धरने पर ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर सुसाईड नोट में गांव को न्याय ना मिलने की बात कही थी, जिसके बाद से अब तक ग्रामीणों ने उनका अंतिम संस्कार नहीं किया, इसी के विरोध में भिवानी के लघु सचिवालय के बाहर इन ग्रामीणों ने महापंचायत कर इस लड़ाई को आगे भी जारी रखने का निर्णय लिया है।