सरकार के रिकार्ड में नहीं है इस गांव का सरकारी हाई स्कूल
[pardeep sahu , charkhi dadri ] एक सरकारी हाई स्कूल वह भी शहीद के नाम पर है, बावजूद इसके सरकारी स्कूल का सरकार के रिकार्ड में कहीं नामोनिशान नहीं है। स्कूल में स्टाफ भी और बच्चों की पढ़ाई भी हो रही है। गांव आर्य नगर के शहीद हरी सिंह राजकीय हाई स्कूल का पोर्टल पर नाम नहीं होने का खुलासा होने पर जहां स्कूल प्रबंधन द्वारा नौवीं व दसवीं के विद्यार्थियों के नाम काटते हुए एसएलसी जारी कर दी वहीं ग्रामीण भी विरोध में उतर आए हैं। ग्रामीणों ने बच्चों के साथ स्कूल गेट पर धरना देते हुए प्रदर्शन किया वहीं समाधान नहीं होने पर बच्चों के साथ अभिभावकों ने भूख हड़ताल की चेतावनी दी है।
चरखी दादरी। एक सरकारी हाई स्कूल वह भी शहीद के नाम पर है, बावजूद इसके सरकारी स्कूल का सरकार के रिकार्ड में कहीं नामोनिशान नहीं है। स्कूल में स्टाफ भी और बच्चों की पढ़ाई भी हो रही है। गांव आर्य नगर के शहीद हरी सिंह राजकीय हाई स्कूल का पोर्टल पर नाम नहीं होने का खुलासा होने पर जहां स्कूल प्रबंधन द्वारा नौवीं व दसवीं के विद्यार्थियों के नाम काटते हुए एसएलसी जारी कर दी वहीं ग्रामीण भी विरोध में उतर आए हैं। ग्रामीणों ने बच्चों के साथ स्कूल गेट पर धरना देते हुए प्रदर्शन किया वहीं समाधान नहीं होने पर बच्चों के साथ अभिभावकों ने भूख हड़ताल की चेतावनी दी है।
बता दें कि करीब एक साल पहले गांव आर्यनगर के राजकीय हाई स्कूल को शिक्षा विभाग द्वारा बंद कर दिया था। बावजूद इसके विभाग द्वारा स्कूल का नामकरण शहीद हरी सिंह के नाम पर नामकरण भी किया। मगर पोर्टल पर स्कूल का कोई रिकार्ड नहीं है। इस अवधि के दौरान विभाग द्वारा शिक्षकों को तैनात कर सेलरी दी, बच्चों की परीक्षा लेकर रिजल्ट भी बेहतर दिखाया। प्रमाण पत्रों को लेकर अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन से बात की तो मामले का खुलासा हुआ। सरकारी खाते में स्कूल नहीं होने का खुलासा होने पर नौंवी व दसवीं के बच्चों के नाम काट एसएलसी जारी कर दी तो ग्रामीण भड़क गये। ग्रामीणों ने सोमवार को किसान कांग्रेस नेता राजू मान की अगुवाई में स्कूल गेट पर ताला जड़ते हुए काफी हंगामा किया और धरने पर बैठते हुए प्रदर्शन किया। ग्रामीण संजय, देवेंद्र, विकास कुमार व राज सिंह इत्यादि ने बताया कि अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी समाधान नहीं हुआ। अब दो दिन के दौरान समाधान नहीं हुआ तो वे बच्चों के साथ भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे।