बिलासपुर में कूड़े से परेशान लोगों की हालत हुई खराब

बिलासपुर में कूड़ा निष्पादन के लिए जगह न मिल पाने के कारण अब शहर का कूड़ा नगर के बीचों बीच वार्ड नंबर-4 में फेंका जा रहा है। जिससे साथ लगती रिहायश को दिक्कत होना शुरू हो गई है। गंदगी के इस आलम में मक्खियां और मच्छर आदि की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है। जिससे लोगों को अपने घरों में ही रहना मुश्किल हो रहा है। कई परिवार तो अपने रिश्तेदारों के यहां आश्रय ढूंढ रहे हैं।

||Delhi||Nancy Kaushik||बिलासपुर में कूड़ा निष्पादन के लिए जगह न मिल पाने के कारण अब शहर का कूड़ा नगर के बीचों बीच वार्ड नंबर-4 में फेंका जा रहा है। जिससे साथ लगती रिहायश को दिक्कत होना शुरू हो गई है। गंदगी के इस आलम में मक्खियां और मच्छर आदि की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है। जिससे लोगों को अपने घरों में ही रहना मुश्किल हो रहा है। कई परिवार तो अपने रिश्तेदारों के यहां आश्रय ढूंढ रहे हैं। इस स्थल का भारी विरोध होने के बावजूद शहर की सारी गंदगी यहीं पर डंप की जा रही हैं। अभी पिछले तीन चार दिनों से बिलासपुर में बारिश हो रही है तथा खुल आसमान के नीचे फेंके गए इस कूड़े से दुर्गंध उठ रही है। रौड़ा सेक्टर, लुहूणू, गुरूद्वारा मार्केट, दबड़ा मोहल्ला, गल्र्स और व्वयाज स्कूल को जाने वाली इस सड़क पर लोगों का पैदल चलता मुश्किल हो गया है। जिस स्थान पर यह कूड़ा डंप किया जा रहा है उसके सामने वार्ड नंबर पांच व आठ है जबकि साथ मुख्य बाजार भी है। प्रशासन की गलती का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। इस डंपिग साइट का विरोध कई संगठन कर चुके हैं लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है। जिससे लोगों की समस्या हल होने की बजाए निरंतर बढ़ रही है। नई डंपिग साईट के साथ सब्जी मंडी और मीट और मछली मार्केट भी है।

गंदगी के इस आलम में किसी भी संक्रमण रोग के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है। इस अवैध डंपिग के साथ रह रहे श्याम लाल सोनू ने बताया कि वे नारकीय जीवन जीने को
विवश हैं। इस बारे में शासन प्रशासन के दरवाजे पर गिड़गिड़ा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आजीविका के लिए वे सब्जी व करियाने की दुकान कर रहे हैं लेकिन मक्खियों का यहां इतना अंबार है कि ग्राहक दुकान में आना ही पसंद नहीे करता। वहीं इसी साथ ही एक आंगनबाड़ी केंद्र भी हैं जहां पर इस इस बदबू का पूरा असर देखा जा रहा हैं। आंगनवाड़ी केंद्र संचालिका की माने तो लोगों ने अपने बच्चों को भेजना भी बंद कर दिया है।