प्राइवेट स्कूल झूठी एमआरपी स्लिप लगाकर लूट रहे है अभिभावकों से पैसा

प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को दोनों हाथ लूटने में लगे हुए है। किताबों से लेकर स्कूल यूनिफार्म तक में मोटा कमीशन प्राइवेट स्कूल मारते है। इसके लिए बकायदा दुकानें तक निर्धारित की गई है और अभिभावकों को निर्देश दिए जाते है कि उनके स्कूल की किताबें किस दुकान पर मिलेगी। जहां पर दुकानदार प्राइवेट पब्लिसरों की किताबें मनमाने दामों पर देते है।

||Delhi||Nancy Kaushik||प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को दोनों हाथ लूटने में लगे हुए है। किताबों से लेकर स्कूल यूनिफार्म तक में मोटा कमीशन प्राइवेट स्कूल मारते है। इसके लिए बकायदा दुकानें तक निर्धारित की गई है और अभिभावकों को निर्देश दिए जाते है कि उनके स्कूल की किताबें किस दुकान पर मिलेगी। जहां पर दुकानदार प्राइवेट पब्लिसरों की किताबें मनमाने दामों पर देते है, अगर अभिभावक ने किताब लेने में आनाकानी की तो उसे दो टूक जवाब दे दिया जाता है कि लेनी हो तो लो, वरना जाओ। इससे भी बड़ी बात किताबों के प्रिंट रेट के ऊपर ज्यादा एमआरपी की चिट चिपकाई होती है, जब उसे हटाकर देखा जाता है तो एमआरपी कुछ ओर ही मिलता है। घरौंडा में श्री कृष्णा बुक डिपो द्वारा चल रही इस खुली लूट के खिलाफ एक अभिभावक ने आवाज उठाई और वह अपने परिचितों के साथ दुकान पर पहुंच गया। जहां पर उसने जमकर हंगामा किया और एमआरपी को लेकर भी सवाल उठाए। जिस पर बुक डिपो होल्डर भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। जिसके बाद अभिभावक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पहुंचा और अपने लिखित शिकायत स्कूल के खिलाफ दी। जिसके बाद बीईओ ने स्कूल को तलब किया है।


दरअसल, रायपुर जाटान के मनजीत सिंह व मदन का बच्चा चौथी कक्षा में गगसीना के एसएस पब्लिक स्कूल में पढ़ता है। चौथी कक्षा के वॉट्सअप ग्रुप में स्कूल की तरफ एक मैसेज भेजा गया कि चौथी कक्षा की बुक्स घरौंडा के मेन बाजार स्थित श्री कृष्णा बुक डिपो पर मिलेगी। इस मैसेज में बुक डिपो वाले का नंबर भी सांझा किया गया था। मनजीत ने सोमवार को बुक डिपो से 2200 रुपए की चार किताबें खरीदी। किताबों के पीछे एमआरपी के ऊपर अलग से एमआरपी स्लिप लगी हुई थी। जिसे हटाकर देखा तो कुछ ओर ही रेट नजर आया। अपने साथ हुई इस खुली लूट के खिलाफ उसने आवाज उठाई और किसा नेता जगदीप औलख व जेपी शेखपुरा के साथ बुक डिपो पर पहुंच गया और जमकर हंगामा किया। मनजीत का आरोप है कि स्कूल के साथ बुक डिपो वाले ने सेटिंग की हुई है और अपने मनचाहे रेटों की स्लिप एमआरपी पर लगाई हुई है। जगदीप औलख व जेपी शेखपुरा ने भी आरोप लगाया है कि अभिभावकों के साथ प्राइवेट स्कूल खुली लूट कर रहे है लेकिन प्रशासन आंखें बंद किए बैठा है। वर्दी से लेकर किताबों तक में स्कूल वालों की कमीशन है लेकिन प्रशासन कोई एक्शन ही नहीं लेता और ना ही जांच करता है।


अभिभावक स्कूल के खिलाफ शिकायत लेकर खंड शिक्षा अधिकारी रविंद्र कुमार के पास पहुंचें। जहां उन्होंने अभिभावकों की समस्या को भी सुना। साथ ही स्कूल प्रबंधन से भी फोन पर बातचीत की और पूछा कि कौन सी बुक स्कूल द्वारा लगवाई गई है। फोन पर स्कूल प्रबंधन प्राइवेट पब्लिसरों की बुक्स लगवाने की बात से मुकर गए। वहीं उसी दौरान स्कूल प्रबंधन की तरफ से फोन कॉल अभिभावक पर भी आ गया। इस फोन कॉल में प्रबंधन ने अभिभावक को कहा कि तुमने यह क्या झगड़ा करवा दिया है। तुम बुक दुकान पर वापिस दे आओ। इसके बाद बीईओ ने भी स्कूल प्रबंधन से बुधवार को ऑफिस में आकर एनसीआरटी बुक्स की डिटेल लेकर ऑफिस में रिपोर्ट करने के लिए कहा है। बीईओ ने पत्रकारों से बातचीत में कहा है कि कोई भी स्कूल प्राइवेट पब्लिसरों की किताबे नहीं लगवा सकता। सिर्फ एनसीआरटी की किताबे ही स्कूल में लगवाई जा सकती है। ऐसे स्कूलों का निरीक्षण किया जाएगा। जिन्होंने प्राइवेट पब्लिसरों की बुक लगवाई हुई है। उन्होंने कहा कि अभिभावकों की शिकायत पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।