ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल के विरोध में रादौर में धरने पर बैठे सरपंचों को किसान यूनियन ने भी अपना समर्थन दिया

ई-टेंडरिंग व राईट टू रिकॉल के विरोध में रादौर में धरने पर बैठे सरपंचों को अब किसान यूनियन ने भी अपना समर्थन दे दिया है। आज भारतीय किसान यूनियन चढूनी के जिला अध्यक्ष संजू गुंदियाना किसानों के साथ बीडीपीओ कार्यालय पहुंचे और वहां धरने पर बैठे सरपंचों को यूनियन का समर्थन देने का घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सरपंचों की मांगों को पूरा नहीं किया तो किसान यूनियन भी कंधे से कंधा मिलाकर सरपंचों के साथ इस आंदोलन में साथ खड़ी रहेगी। 

ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल के विरोध में रादौर में धरने पर बैठे सरपंचों को किसान यूनियन ने भी अपना समर्थन दिया

||Radaur||KartikBhardwaj ||भारतीय किसान यूनियन चढूनी ने ई-टेंडरिंग व राइट टू रिकॉल के विरोध में भारतीय किसान यूनियन चढूनी का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार सरपंचों की मांगों को जल्द पूरा करे, कहा कि ई-टेंडरिंग से होने वाले कार्यों में पारदर्शिता नहीं आएगी | सरकार कहां नियम थोप कर तानाशाही लाने की कोशिश कर रही है?

 भारतीय किसान यूनियन चढूनी संजू गुंडियाना के जिलाध्यक्ष किसानों सहित बीडीपीओ कार्यालय पहुंचे और वहां धरने पर बैठे सरपंचों को संघ का समर्थन देने का ऐलान किया | आज भारतीय किसान यूनियन चढूनी संजू गुंडियाना के जिलाध्यक्ष किसानों सहित बीडीपीओ कार्यालय पहुंचे और वहां धरने पर बैठे सरपंचों को संघ का समर्थन देने का ऐलान किया | ई-टेंडरिंग व राईट टू रिकॉल के विरोध में रादौर में धरने पर बैठे सरपंचों को अब किसान यूनियन ने भी अपना समर्थन दे दिया है। आज भारतीय किसान यूनियन चढूनी के जिला अध्यक्ष संजू गुंदियाना किसानों के साथ बीडीपीओ कार्यालय पहुंचे और वहां धरने पर बैठे सरपंचों को यूनियन का समर्थन देने का घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने सरपंचों की मांगों को पूरा नहीं किया तो किसान यूनियन भी कंधे से कंधा मिलाकर सरपंचों के साथ इस आंदोलन में साथ खड़ी रहेगी। 

भाकियू जिलाध्यक्ष संजू गुंडियाना ने कहा कि सरकार इन दोनों नियमों को सरपंचों पर थोपने का प्रयास कर रही है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा | उन्होंने कहा कि अगर सरकार को ये दोनों नियम लागू करने हैं तो सबसे पहले इन्हें सांसदों और विधायकों पर भी लागू करना चाहिए | लेकिन सरकार सरपंचों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।उन्होंने कहा कि जनता ने सरपंचों को गांव का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है।वह जनता के चुने हुए प्रतिनिधि भी हैं। इसलिए सरकार को उन्हें बदनाम करना बंद करना चाहिए और समय रहते उनकी मांगों को मान लेना चाहिए, नहीं तो भारतीय किसान यूनियन कोई भी कड़ा कदम उठाने को तैयार है।