सारी उम्र सहारा दिया उन्ही अपनों द्वारा ठुकराई गयी वे विधवा महिलाये जो खुद कि जिंदगी को भगवान् कि शरण में आकर गुजारने के लिए वृन्दाबन आयी....... विधवा माताओं की दिवाली
महिलाओं ने अपने हाथों से फुलजड़ी चलायी और फूलों से बड़ी ही खूबसूरती के साथ रंगोलियां भी बनायीं और दीवाली के मौके पर एक हजार विधवा महिलाएं ने ग्यारह हजार दीपक जला सबकुछ भूलकर दीवाली के दीपों के रौशनी साथ अपने जीबन में छाये सभी अंधरों को दूर कर हमेशा खुशियों के दीप जलाये रखने का सपना संजोती रही है बहिन खुसी देखते ही बन रही है
जिनको सारी उम्र सहारा दिया उन्ही अपनों द्वारा ठुकराई गयी वे विधवा महिलाये जो खुद कि जिंदगी को भगवान् कि शरण में आकर गुजारने के लिए वृन्दाबन आयी और फिर यहाँ आकर लोगों के आगे हाथ फैलकर भीख मांग मांग कर अपनी गुजर बसर करने वाली इन अश्हाय महिलाओं के लिए सरकार कई आश्रय सदन बनवाये मगर इन आश्रय सदनों में भी इनको दिन भर भजन कीर्तन करने वाद कुछ रुपय दिए जाते जिनसे इनके खाने के सामान कि पूर्ति नहीं होती तथा सदनों में इनके होते शोषण और विधवाओ कि दुर्दसा के कई मामले सामने आने के वाद इनकी जिम्मेदारी लेने स्वयं सेवी संस्था से मिली खुशियों से आज ये विधवा एक वार फिर जिंदगी को रंगीन समझने लगी है और अव ये महिलाये सभी महिलाओं कि तरह खुलकर नाचती गाती है और अपने जीबन में आयी इन छोटी छोटी खुशियों को मिलने के वाद आज फूली नहीं समां रही है | हाथों में दीवाली के फूलजड़ीयां लिए नाचती गाती ये बही विधवा और अश्हाय महिलाएं है जो कभी ये सब तीज त्योहारो को भूल ही गयी थी कि सायद हमारी जिंदगी में कभी ये पल दोवारा लौटकर आयेंगे। /मगर इन विधवाओं कि जिंदगी को एक वार फिर पंख लगे है और अव ये विधवाएं भी होली के रंगों रंगती है तो माँ दुर्गा कि भक्ति में रची नजर आती है तो आज ये सभी विधवाएं दीवाली कि धूम में मस्त होकर अपनी जिंदगी को भरपूर जीने कि कोसिस करने भी पीछे नहीं रही /क्यूँ कि आज इनके सामने मौका ही ऐसा था जब दिल्ली कि संस्था सुलभ इंटनेशनल ने वृंदाबन में रहने वाली इन विधवाओं के साथ दीवाली मनायी जिसमें इन महिलाओं ने अपने हाथों से फुलजड़ी चलायी और फूलों से बड़ी ही खूबसूरती के साथ रंगोलियां भी बनायीं और दीवाली के मौके पर एक हजार विधवा महिलाएं ने ग्यारह हजार दीपक जला सबकुछ भूलकर दीवाली के दीपों के रौशनी साथ अपने जीबन में छाये सभी अंधरों को दूर कर हमेशा खुशियों के दीप जलाये रखने का सपना संजोती रही है बहिन खुसी देखते ही बन रही है