यमुनानगर में चल रहा है बिना विधार्थियो के स्कूल
शिक्षा विभाग द्वारा जब हम ढाई साल पहले यहां ट्रांसफर होकर आए उस समय स्कूल में दो बच्चे थे एक दो एक ऐसे ही चलता आ रहा है। पहला भी अगर हम स्कूल का रिकॉर्ड देखें तो एक दो बच्चे ही यहां पर पढ़ते थे ।ज्यादा पुराना तो नहीं पता कि कितने बच्चे पढ़ते होंगे कुछ लोगों के पास जाते हैं तो वह प्राइवेट की तरफ ज्यादा भागने की कोशिश करते हैं
यमुनानगर (सुमित ऑबराय ) || सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने व शिक्षकों द्वारा गुणवत्ता शिक्षा देने के दावे कर रही है वहीं यमुनानगर के नगावा जागीर गांव में बना प्राथमिक विद्यालय बिना विद्यार्थियों के चल रहा है।शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की उदासीनता के चलते जिले में बिना बच्चों के पाठशाला चल रही है लेकिन आज दिन तक किसी भी उच्च अधिकारी ने पाठशाला में आकर निरीक्षण नहीं किया यहां आने वाला शिक्षक भी दिन भर बिना बच्चों के स्कूल में बैठे रहकर कागजी कार्रवाई पूरी कर वापस घर लौट रहे हैं। इस मामले में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कुछ स्कूल पहले मर्ज़ किया गए थे ।अब इन शिक्षकों को भी उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां पर विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा है इसके लिए प्रपोजल बना लिया गया है।वही स्कूल में बैठे शिक्षक का कहना है कि आज हर कोई दूसरे को देख कर अपने बच्चो को प्राइवेट स्कूल में डाल रहा है बिन विद्यार्थियों के चल रहे सरकारी स्कूल।जिस स्कूल की तस्वीरें हम आपको दिखा रहे है ये नगावा जागीर गांव का प्राथमिक स्कूल है जहाँ पहली से पांचवी तक शिक्षा दी जाती है।लेकिन बड़ी हैरानी की बात ये है कि यहाँ दो शिक्षक तो है लेकिन उनसे शिक्षा लेने वाला कोई नही।ये वही स्कूल है जो बच्चो के भविष्य को तराशते है लेकिन यहाँ शिक्षक दिन भर बैठकर दोपहर को लौट जाते है।आप ही सुनिए बिन विद्यार्थी के बैठे शिक्षक की जुबानी राजकीय प्राथमिक पाठशाला नगावा जागीर खंड जगाधरी जिला यमुनानगर में मौजूद अध्यापक सोनू राम ने बताया कि यह पांचवीं तक का स्कूल है पहली से पांचवी तक यहां पर जैसे अभी एक बच्चा था ।134 ए के तहत एडमिशन हो गया है किसी दूसरे स्कूल में जिसकी ऑनलाइन पोर्टल पर एसएलसी जारी कर दी जाएगी।शिक्षा विभाग द्वारा जब हम ढाई साल पहले यहां ट्रांसफर होकर आए उस समय स्कूल में दो बच्चे थे एक दो एक ऐसे ही चलता आ रहा है। पहला भी अगर हम स्कूल का रिकॉर्ड देखें तो एक दो बच्चे ही यहां पर पढ़ते थे ।ज्यादा पुराना तो नहीं पता कि कितने बच्चे पढ़ते होंगे कुछ लोगों के पास जाते हैं तो वह प्राइवेट की तरफ ज्यादा भागने की कोशिश करते हैंप्राइवेट स्कूल में भेजेंगे। क्योंकि हमारे पास लगाने को पैसे हैं बस वाले स्कूल में बच्चा जाना चाहिए ।एक दूसरे को देख कर जिद करते हैं अपने आप को साधन संपन्न बताते हैं कि हम साधन संपन्न है हम प्राइवेट में भेजेंगे ।वही गेंहू और चावल बच्चों को गवर्नमेंट देती है एक बच्चे के ऊपर जो खर्च आता है उसका खाना बनेगा तो उसका खर्च भी सरकार देगी ।उसको बनाने के लिए को कि यहां कुक रखे हुए हैं ।मिड डे मील वाले सामान उतना ही लेकर आते हैं जितनी स्कूल की स्ट्रेंथ होगी बच्चे नहीं होंगे तो वह सामान नहीं लेकर आएगी ।उसको उतना ही बिल दिया जाएगा जितना खाना उसने बनाया है अगर कोई बच्चा नहीं आता तो उसका कोई खर्च नहीं है।