कश्मीरी लड़कियां सिर्फ बीवी या बहु नहीं.... बेटी भी हैं और सम्मानित भारतीय नागरिक भी, इस बात का ध्यान रहे नेता जी को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर को देश का अभिन्न अंग कहते हैं, जो कि सर्वथा सच भी है । कश्मीरियों को भाइयों बहनों से संबोधित करते हैं । लेकिन 370 हटने की खुशी से अतिउत्साहित समर्थक उसे बस गोरी लड़कियों और संसाधनो का महज तौफा समझकर बैठे हैं ।
कश्मीर से धारा 370 हट चुकी है। अब जम्मू कश्मीर देश के बाकी राज्यों की तरह अखंड भारत का एक अभिन्न अंग हैं लेकिन जब से ये असंभव सा काम संभव हुआ है तभी से कश्मीरियों को एक अजीब नजरिए से देखा जा रहा हैं । मनचलो ने सोशल मीडिया पर कुतर्कों और गंदी भावनाओं की बाढ़ सी ला रखी हैं । लेकिन चलिए एक बार को इस सच के साथ रह भी जाए कि इस देश मे अब ये आम हो चुका हैं, और फ़ेसबूक ट्विटर के जमाने मे इनको रोकना भी नामुमकिन हैं लेकिन क्या नेताओं को भी इस गंदगी मे अपने हाथ मैले करने चाहिए ? बेरोजगार और अर्धशिक्षित जनता को भले इस बात की संवेदनशीलता का अंदाजा ना हो, लेकिन क्या देश की संवैधानिक कुर्सियों पर बैठे महानुभावों को भी इसकी समझ नहीं हैं ?
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हालिया सबसे ताजा बयान हरयाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का आया हैं । अपने ही एक सहयोगी के बयान का हवाला देते हुए 370 के समर्थन में उनके मुंह निकला भी तो ये कि अब कश्मीरी लड़कियों को बहू बना सकेंगे । क्या 370 इसीलिए हटाया गया हैं ? क्या अनुच्छेद 370 का महत्व राजनीति के गलियारे और राजनैतिक बुद्धिजीवियों के दिमाग में बस इतना ही रह गया हैं ? किसी संवैधानिक पद पर चुने गए और एक बड़े लोकमत का प्रतिनिधित्व करते नेता के ऐसे बयान उन मनचलों के भद्दी सोच को कितना प्रबल करता हैं, क्या कभी आपने से सोचा हैं ?
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इसके पहले भाजपा के ही एक विधायक विक्रम सैनी अपने जन-भाषण के दौरान कुंवारों की शादी कश्मीरी लड़कियों से करवाने का ऐलान कर चुके हैं । ऐसे बयानों पर हमें शर्मिंदा होना चाहिए । क्या इसीलिए कश्मीर की वादियों से धारा 370 हटाई गयी हैं, ताकि उनकी बहू बेटियों पर ऐसी ओछी टिप्पणी की जा सके ? जो कश्मीरी आवाम इस फैसले का स्वागत कर रही हैं और यकीनन बड़ी तादात में हैं उन्हे कैसा लगता होगा अपनी बहन बेटियों और पड़ोसियों के बारे में सुन कर? उनके भारतीय होने के गर्वांवित नीयत पर तो जैसे हतोत्साहित करता प्रश्नचिन्ह लग जाता होगा ।
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ऐसी माससिकता के साथ अखंड भारत का सपना सार्थक सिद्ध होता नहीं दिखता । कश्मीर को अपना बनाने के साथ साथ सबसे जरूरी हैं कि कश्मीरियत को अपना बनाया जाये और उन्हें वही इज्जत दी जाये जो आप मराठियों, राजस्थानियों या भारत के किसी भी अन्य राज्य के बाशिंदों को देते हैं ।
Posted by- Prakash Chandra