Kaithal || Neha Rajput || पराली की मंडियां लगाने वाले नरेश कुमार व प्रदीप कुमार ने बताया की किसान यहां पर पराली बेचते हैं जिससे उन्हें सरकारी की तरफ से ना जलाने के नाम की एक हजार रूपये प्रोत्साहन राशि तो मिलती ही है साथ में प्रबंधन के बाद अलग से पराली बेचकर भी कमाई होती है। अगर सरकार व प्रशासन के सहयोग से इस तरह की ओर मंडियां बनाई जाए और किसानों की पराली का दाम थोड़ा ओर बढ़ाया जाए तो निश्चित तौर पर प्रदूषण से तो निजात मिलेगी ही साथ से किसानो का फायदा भी होगा।
जब इस विषय में किसान सुरजीत और बेलर मशीन चालक सोहन सिंह ने बताया की अब पराली प्रबंधन से किसान की तो कमाई हो ही रही है साथ में बहुत से लोगों को काम मिल रहा है। किसान प्रति एकड़ 5-7 हजार रूपये कमा रहे हैं तो वहीं बेलर मशीन पर 80-85 मजदूर काम करते हैं जिससे बेरोजगारों को काम मिलता है। इसके अलावा अगर मंडियों की बात करे तो यहां भी मजदूरों को काम मिलता है।
कृषि अधिकारी डॉ कर्म चंद ने बताया की कैथल में लगभग 9.6 लाख टन पराली का उत्पादन होता है जिसमे से लगभग आधी पराली मंडियों व फैक्टरियों के माधयम से बिक जाती है जिसमे किसानों की सीधे सीधे 57-हजार रूपये प्रति एकड़ का फायदा हो जाता है। कैथल में 20 पराली की मंडियां लगी हैं जो किसानो से प्रालि खरीदकार आगे गुजरात, राजस्थान व अन्य कई प्रदेशो में पराली भेजते है। कैथल की मंडियों में पहले ही बाहर के प्रदेशो से ऑर्डर मिलने शुरू हो जाते हैं। अबकी बार अगर पराली जलाने की बात करें तो कैथल में मात्र 10 हजार किवंटल पराली ही जलाई गई जो कुल उत्पादन का मात्र 1 प्रतिशत है। पंजाब से सटा एरिया होने के कारण कैथल में पराली का प्रबंधन पंजाब के नजदीकी एरिया में भी होने लगा है उम्मीद है की आने वाले समय में पंजाब में भी पराली जलाने के माले घटेंगे और प्रलली प्रबंधन बढ़ेगा। कैथल प्रशासन, प्रालि व्यापारियों व किसानो के सहयोग से ये हो पाया जिसमे किसानो का तो फायदा है ही साथ में प्रदूषण पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।