नरेला में जारी है अवैध पटाखों का कारोबार ....... पटाखे बंद करने के बावजूद भी कोर्ट के नियमों की अवहेलना.........
अवैध कारोबार जारी रखता है। फिलहाल नरेला इंडस्ट्रियल एरिया पुलिस मामले की जांच में जुटी है।दो साल पहले बवाना में 17 लोगों ने जान गवाई उस केस के वकील ने इसे पुलिस की लापरवाही बताया कि ऐसी फैक्ट्रियां चल ही क्यो रही थी।
देश की राजधानी दिल्ली में पटाखे बंद करने के बावजूद भी कोर्ट के नियमों की अवहेलना करते हुए बड़ी संख्या में अवैध पटाखों के कारोबार जारी है। दिल्ली के नरेला में पुलिस ने एक फैक्ट्री में बड़ी मात्रा में पटाखे पकड़े हैं। ये छोटे पटाखे तेजी से दीवार पर मार कर बजाया जाता है। पत्थर के टुकड़ों में कुछ बारूद मिला होता है और उस माध्यम से इन्हें बजाया जाता है। आपको बता दें कि इसी तरह के पटाखों की एक फैक्ट्री में 2 साल पहले बवाना एरिया में आग लगी थी और 17 लोग जिंदा जल गए थे । जिस फैक्ट्री में 17 लोग जिंदा जले थे उस फैक्ट्री में भी यही पटाखे बनाए जाते थे । यहां इस फैक्ट्री में इन पटाखों और बारूद का काम जारी था । यहां पटाखे बड़ी मात्रा में थे कई कमरों में यह पटाखे भरे हुए थे और दिवाली के अवसर पर यह पटाखे दिल्ली में खपत होने थे। न्यायालय के सख्त आदेश के बावजूद भी इस तरह का कारोबार दिल्ली में अभी भी लगातार जारी है । गलियों में बच्चे पटाखे बजाते हुए अभी से पाए जाते हैं और छोटी-छोटी परचून की दुकानों पर भी आप पटाखे खरीद सकते हैं। इसलिए इस दिवाली पर पॉल्यूशन का बढ़ना बहुत अधिक दिखाई दे रहा है। नरेला इंडस्ट्रियल एरिया में जिस फैक्ट्री में इस तरह के पटाखे का कारोबार चलाया जा रहा था इस कारोबार का मालिक पंजाबी बाग का व्यापारी बताया जा रहा है। साथ ही पुलिस ने पकड़े जाने की पुष्टि तो की है लेकिन पटाखों की मात्रा और किन किन लोगों पर FIR होगी यह भी साफ नहीं हो पाया है। पुलिस का कहना है
कि जांच के बाद ये सुबह तक एफ आई आर दर्ज कर इस बात को साफ कर देंगे कि कौन-कौन लोग इसमें शामिल है लेकिन इतना साफ है कि ऐसे मामले में पटाखा व्यापारी के साथ साथ फैक्ट्री का बिल्डिंग का मालिक भी कहीं न कहीं जिम्मेदार होता है जो अपनी बिल्डिंग में इस तरह का अवैध कारोबार जारी रखता है। फिलहाल नरेला इंडस्ट्रियल एरिया पुलिस मामले की जांच में जुटी है।दो साल पहले बवाना में 17 लोगों ने जान गवाई उस केस के वकील ने इसे पुलिस की लापरवाही बताया कि ऐसी फैक्ट्रियां चल ही क्यो रही थी।