पेयजल समस्या का निदान नहीं हुआ तो विधानसभा चुनाव का करेंगे बहिष्कार
सरपंच दयानंद की उपस्थिति में गांव दातौली में आयोजित पंचायत की अध्यक्षता कैप्टन केदार सिंह ने की। पंचायत में ग्रामीणों ने कहा कि गांव के जलघर तक बिछाई जाने वाली पेयजल पाइप लाइन को सीधा सतनाली फीडर से जोड़ा जाए। वहीं संबंधित विभाग द्वारा योजना बनाई गई है कि गांव के जलघर व जोहड़ को चांगरोड माइनर के साथ जोड़ा जाएगा
चरखी दादरी, 9 सितम्बर (निस) : पिछले तीन दशकों से अधिक समय से पेयजल की समस्या से जूझ रहे गांव दातौली की पंचायत ने निर्णय लिया गया कि उनके गांव की पेयजल समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेंगे। ग्रामीणों द्वारा लोकसभा चुनाव में भी मतदान का बहिष्कार किया था। उस समय मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही पेयजल समस्या का समाधान हो जाएगा। बावजूद इसके समाधान नहीं होने पर ग्रामीणों ने सरकार के किसी भी कार्य में सहयोग नहीं करने व विधानसभा चुनाव में मतदान बहिष्कार का निर्णय लिया है। ग्रामीणों की मांग है कि पेयजल समस्या के निदान के लिए सतनाली फीडर से पेयजल लाइन जोड़ी जाए। ताकि पेयजल समस्या का सही तरीके से निदान हो सके।सरपंच दयानंद की उपस्थिति में गांव दातौली में आयोजित पंचायत की अध्यक्षता कैप्टन केदार सिंह ने की। पंचायत में ग्रामीणों ने कहा कि गांव के जलघर तक बिछाई जाने वाली पेयजल पाइप लाइन को सीधा सतनाली फीडर से जोड़ा जाए। वहीं संबंधित विभाग द्वारा योजना बनाई गई है कि गांव के जलघर व जोहड़ को चांगरोड माइनर के साथ जोड़ा जाएगा। लेकिन इससे ग्रामीण बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं है। पंचायत में ग्रामीणों ने कहा कि चांगरोड माइनर से जोडऩे पर गांव में पर्याप्त मात्रा में पेयजल आपूर्ति नहीं हो सकेगी। गांव दातौली के समीपवर्ती गांव दूधवा में भी सीधे सतनाली फीडर से लाइन जोडक़र पेयजल आपूर्ति की जाती है। उसी की तर्ज पर गांव दातौली में भी सतनाली फीडऱ से ही लाइन को जोड़ा जाए। पंचायत में मौजूद ग्रामीणों ने इसी मामले में आगामी बुधवार को दादरी जिला उपायुक्त से मिलने की भी योजना बनाई है।जिला उपायुक्त से मिलकर भी गांव के जलघर व जोहड़ को सतनाली फीडर से ही सीधे जोडऩे की मांग रखी जाएगी। यदि प्रशासन व जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा उनकी इस मांग को नहीं माना जाता है तो वे लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव का भी बहिष्कार करेंगे।लोकसभा चुनाव में किया था मतदान का बहिष्कार 35 वर्षों से पेयजल संकट झेल रहे ग्रामीणों द्वारा लोकसभा चुनाव के समय मतदान का बहिष्कार किया था। उस समय गांव में पोलिंग पार्टियां पहुंची, अधिकारी पहुंचे लेकिन कोई भी ग्रामीण मतदान करने नहीं गया। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों को मतदान करने बारे समझाया गया। लेकिन ग्रामीण अपने फैसले पर अड़े रहे और किसी भी ग्रामीण ने मतदान नहीं किया था।