गुरदासपुर : ट्रक ड्राइवरों का दिन रात का अनोखा ही आपसी सम्बन्ध, लेकिन बंद है ढाबे ....
उनको लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है उनका कहना था के सरकार को उनके बारे में भी सोचना चाहिए वही आम जनता और ट्रक ड्राइवरों का कहना था के ढाबे भी खोल देने चाहिए चाहे कुछ समय की अनुमति दी जाए क्योंकि सड़क किनारे ढाबो से आम जनता और ट्रक ड्राइवर रोटी खाते है और चाय पानी पीते है ट्रक ड्राइवर तो जब सफर पर निकलते है तो वह अपनी भूख इन्ही ढाबों पर खाना खाकर मिटाते है
गुरदासपुर ( सुखबीर सिंह ) || मित्रां दे ढाबे ते मेला ही लगया रहन्दा " जी हां एक गीत की यह लाइने तब सच होती दिखाई देती थी जब कोरोना नही था क्योंकि अब कोरोना की वजह से हाइवे और सड़क किनारे इन ढाबों में मेला नही लगा दिखाई दे रहा क्योंकि कर्फ्यू तो खुल चुका है और सरकार की तरफ से सभी दुकानें और छोटे कारोबारो को भी खोलने की अनुमति दे दी गई है लेकिन ढाबे खोलने की अनुमति नही दी गई जिसके कारण यह ढाबे बन्द होने की वजह से खाली पड़े दिखाई दे रहे है और ढाबे बन्द होने की वजह से यहां इन ढाबों के मालिक परेशान दिखाई दे रहे है वही ट्रक ड्राइवर भी परेशान दिखाई दे रहे है क्योंकि इन ढाबों का और ट्रक ड्राइवरों का दिन रात का अनोखा ही आपसी सम्बन्ध है वही ढाबा मालिको का कहना था के उनको अपना परिवार और अपने ढाबे के कारीगरों का खर्च उठाने भारी पड़ रहा है उनको लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है उनका कहना था के सरकार को उनके बारे में भी सोचना चाहिए वही आम जनता और ट्रक ड्राइवरों का कहना था के ढाबे भी खोल देने चाहिए चाहे कुछ समय की अनुमति दी जाए क्योंकि सड़क किनारे ढाबो से आम जनता और ट्रक ड्राइवर रोटी खाते है और चाय पानी पीते है ट्रक ड्राइवर तो जब सफर पर निकलते है तो वह अपनी भूख इन्ही ढाबों पर खाना खाकर मिटाते है